Book Title: Agam 26 Prakirnak 03 Maha Pratyakhyan Sutra
Author(s): Punyavijay, Suresh Sisodiya, Sagarmal Jain
Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan

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Page 8
________________ पृष्ठ क्रमांक .... .... .... samanna .... .... .. . .... .... २० विषयानुक्रम गाथा क्रमांक भूमिका मंगल और अभिधेय विविध प्रत्याख्यान सर्व जीव क्षमापना निन्दा, गर्दी और आलोचना ममत्व छेदन और आत्म-धर्म स्वरूप मूलगुण, उत्तरगुण की आराधना पूर्वक आत्म-निंदा १२ एकत्व भावना १३-१६ संयोग सम्बन्ध परित्याग १७ असंयम आदि की निन्दा और मिथ्यात्व का त्याग ..... १८-१९ अज्ञात अपराध आलोचना माया निहनन उपदेश आलोचक का स्वरूप ओर मीक्षगामित्व .. ..." २२-२३ शल्योद्धरण प्ररूपणा २४-२९ आलोचना फल प्रायश्चित अनुसरण प्ररूपणा । ३१-३२ प्राण-हिंसा आदि का प्रत्याख्यान और असण आदि का परित्याग ३३-३४ निर्दोष पालन, भाव शुद्ध और प्रत्याख्यान स्वरूप ३५-३६ वैराग्य उपदेश ३७-४० पंडितमरण प्ररूपणा ४१-५० निर्वेद उपदेश ५१-६७ पंच महाव्रत रक्षा प्ररूपणा ६८-७६ गुप्ति समिति प्रधान प्ररूपणा ওও तप माहात्म्य ७८-७९ आत्मार्थ साधन प्ररुपणा ८०-८४ अकृत योग और कृत योग के गुणदोष की प्ररूपणा ८५-८९ PAGGG G6 % ११-१३ ... १७-१९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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