Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications
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सभाष्य भूरिंग निशीय सूत्र
धतु देत मरण कप्पे प्रसुमिरण कप्पे
-संभोगो
भगुभूता उदगरसा प्रमोद करावा
भरणुयत्ता तु एसा
परमाणे प्रवाती
प्रस्तुरंगात्री जाणे
तुलोपो नमो
प्रसट्ठी धम्मका
भरसट्ठीय सुभद्दा प्रमाणं सजाती
प्रण उवस्मयगमणे
to कूल-गीत- कहरणं
om भिक्खुस्न
प्रहणं तु दुविहं भरण जुण्णा प्रातरमादेणं तर ते इच्छ
मातराग धातु
अण्णत्थ अपसत्था
प्रत्थ एरिसं दुल्लभं
प्रत्थ ठवावेउ
प्रगत्य तस्थ गहणे
प्रत्थ व चकमती
प्रस्थ वगी
प्रात्त्य वा विणिज्जति
प्रत्थ वि जत्थ भवे
ग्रन्थ सनियेगं
पच्छिणे लहुग़ा
प्रणामंडी य मिही
अग्मि व कालम्मि
प्रणया विरं
womanतीए प्रती
श्रस्म व श्रमतीए
प्रथम व दाहामो
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घणं प्रभिधातुं प्रणं न उद्दिसावे
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अण्णं पि ताव तेण्णं
प्रण्णा गारवे लुद्ध
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सीता
31
अण्णाते परलिंगे
पालसमत्थि
अण्णा वि अप्पसत्था
अण्णा पिडिसेवा
गुणव
अष्ण पडिच्छा वे
ار
प्रणेण सगिम्मि य
अगे दो ग्रायरिया माणे पाणे भेम
णणे वाण लहूगो
प्रणेवि उतीसं
अणे वि तस्स गीया
पणे वीस सिमखे
भण्णे वि होंति दोसा
"
"
दिजमा
भ्रष्णो महगोमां
-र-वजा
गोगाविरुद्ध तु
ग्रो वा श्रो
व
अवि होइ उज्ज
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