Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications

View full book text
Previous | Next

Page 483
________________ सभाष्य भूरिंग निशीय सूत्र धतु देत मरण कप्पे प्रसुमिरण कप्पे -संभोगो भगुभूता उदगरसा प्रमोद करावा भरणुयत्ता तु एसा परमाणे प्रवाती प्रस्तुरंगात्री जाणे तुलोपो नमो प्रसट्ठी धम्मका भरसट्ठीय सुभद्दा प्रमाणं सजाती प्रण उवस्मयगमणे to कूल-गीत- कहरणं om भिक्खुस्न प्रहणं तु दुविहं भरण जुण्णा प्रातरमादेणं तर ते इच्छ मातराग धातु अण्णत्थ अपसत्था प्रत्थ एरिसं दुल्लभं प्रत्थ ठवावेउ प्रगत्य तस्थ गहणे प्रत्थ व चकमती प्रस्थ वगी प्रात्त्य वा विणिज्जति प्रत्थ वि जत्थ भवे ग्रन्थ सनियेगं पच्छिणे लहुग़ा प्रणामंडी य मिही अग्मि व कालम्मि प्रणया विरं womanतीए प्रती श्रस्म व श्रमतीए प्रथम व दाहामो Jain Education International २५६१ २८८१ २८६४ २१३६ ५२६१ ५:८ २०७३ ५७५४ ५६६३ ३१५० २५६६ ३४८५ ६६०६ ८१४ १२८६ १३५१ २८२३ ४७२५ ५००० ६६ २३१४ ४३१२ १७०५ २५०६ ५७६४ ४७२४ ५३२२ ११४६ ६२४६ ४६९० २२३५ ६३६६ ६२५८ २७६६ ܚܐ १३२० ܘ ܀ 2. i? ५७६० ५७६१ ३४२१ ६६७२ ३२८५ ३०७१ २०६८ ५७५६ ४ घणं प्रभिधातुं प्रणं न उद्दिसावे "1 अण्णं पि ताव तेण्णं प्रण्णा गारवे लुद्ध "} सीता 31 अण्णाते परलिंगे पालसमत्थि अण्णा वि अप्पसत्था अण्णा पिडिसेवा गुणव अष्ण पडिच्छा वे ار प्रणेण सगिम्मि य अगे दो ग्रायरिया माणे पाणे भेम णणे वाण लहूगो प्रणेवि उतीसं अणे वि तस्स गीया पणे वीस सिमखे भण्णे वि होंति दोसा " " दिजमा भ्रष्णो महगोमां -र-वजा गोगाविरुद्ध तु ग्रो वा श्रो व अवि होइ उज्ज ने कि पहि For Private & Personal Use Only ५४७३ २७३६ ५५७७ १३६१ ५८४० ५८६६ १७०६ ५४०६ २३८८ ५७७५ २३४५ ६३०७ १२६६ २७६६ * ६३७४ २२३७ २५०८ ६६५ २०६५ ३५६६ ३५२० १२६२ ३५२५ १२८४ २५०६ २५१७ ×××× १६३५ २:०६ १४८७ १२६ १७२७ ५६३६ ५६.५ ४३१६ ७२४ ५२१८ ४५८: ૪૪૨ ४०७४ २३६० www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608