Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications

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Page 532
________________ ४६८ प्रथम परिशिष्ट ३८६७ ३३४३ दम्वेग य भावेण य १८५४ दवियपरिणामतो वा दन्वखएणं पंतो दवट्ठवरणाहारे दव्व-रिणसीहं कतगादिएसु दव्यतो चउरो सुता दबदिसखेतकाले दव्वपडिबद्ध एवं दश्वप्पमारणअतिरेग दब्बप्पमारण गगणा द... गाणगाइरेग दाम्म दाडिमंबाडिएसु दवम्मिा वत्थपत्तादिएसु ४७१८ ३६६४ २०६८ ५८२२ १६५३ १०११ ४०६८ ६६१० ६०८३ १०२६ ६२८३ ११६३ ४८० ३५४४ ३३४४ ८५३ ६२८० ४६ ४२५०. दब्वसिती भावसित दव्वं खेतं कालं ६०७३ ३८२२ ६२३४ ६२३६ ६२४२ ६२४६ १०६५ १७५५ ५०११ ३७५६ ६३७६ दव्यं जोग्गंण लब्भ दव्वं तु जाणितव्व दव्वाइ उभियं दवातिसाहए ता दव्वादि चतुरभिग्गह दब्वादि तिविहकसिणे दवादिविवच्चासं दवादी अपसत्थे दव्वे पाहारादिसु दवे इक्कड कठिरणादिमू दवे एगं पादं दब्वे खेत्ते काले ५२१४ दब्वे तं चिय दव्वं __ ३६६६ दवे पुट्ठमपुट्ठो १६११ दवे भविग्रो णियित्तिग्रो दब्बे भावेऽविमुत्ती दब्वे य भाव तितिण दन्ने यं भाव भेयग दव्योगहरणग पाएस दव्योवखरणेहादियागा दम प्राउविवागदसा दम उत्तर सतियाए दस एतस्स य मज्झय दस चेव य परणयाला दस ता अनुसज्जती ३७७६ दसउर-नगरुन्ध रे ६११ दसदुयए संजोगा दसमासा पक्खेणं दससु वि मूलायरिए दसहिं य रायहाणी दंडधरोहंडारक्खियो दंड पडिहार-वज्ज दंडसुलभम्मि लोए दंडार क्खिय दोवारेहि ४०६१ दंतच्छिण्णमलित्तं दंतपुरे आहरणं दंतामय दंतेसु दंतिक्क गोर-तेल्ले दते दि? विगिचण दंसगाचरणा मूढस्स दसगा-गाण-चरित्ताग्ग दमगा-गागा-चरित ३२२५ ३५४३ ६४८० ३०५ ६५८२ '६६८० ५६०७ २०६२ २८३१ ३६०१ २५८८ २५१६ १६७३ ६६०७ .२५१५ ३४६४ १२६५ १५२० ५६६४ २६७७ ३३५१ ३७५०. २६४२ ८८७ ५८८६ २०४३ ८६१ ३०७२ ८८६ २१५६ ४८४ १०२५ १०६४ ४३४१ ४३४२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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