Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications

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Page 544
________________ ܕ पुढवी- प्राक्काए पुढवी- प्राक्का पुढी-प्रोस सजोती मादी पुढवीमादीसू पुढवीमादी ठाणा पुढवीमादी पूरणादिएसु पुरणरवि दत्रे तिविहं पुरवि पडिते वासे पुण्णम्मि ग्गियाणं पुतो पिता व जाइतो पुतो पिया व भाया " पुप्फग गलगंड वा पुयातfरण विमद्दइ पुरकम्मम्मि य पुच्छा पुर-पच्छिमवज्जेहिं पुरतो दुरूह मेगंते पुरतो य पासतो पिट्ठतो पुरतो य वच्वंति मिगा पुरतो वच्चति साधू पुरतो व मग्गतो वा पुरतो वि हु जं धोयं पुराण सावग- सम्मद्दिट्ठि पुराणादि पण्णवेडं पुराणे सावतेसु पुरिमरिमाण कप्पो पुरिमंतरंति भूयगिह पुरिसज्जा प्रमु पुरि-सा एमेव पुरिसम्म इत्थिगम्मि य पुरिसम्म दुब्विणीए पुरिससागरिए उवस्वयम्मि पुरिसा उनकोस मज्झिम पुरिसा तिविहा संघयरण पुरिसा य भुक्तभोगी पुरिसाणं एगस्स वि पुरिसाण जो उ गमो Jain Education International •×× १३७५ ५५८ २३०८ ४६४८ ४२५७ ४६४७ ५००४ १२४३ ३२५८ १२६७ १७१४ १७१६ ४३२८ ३०६१ ४०५६ ११६० ४२५५ ३४४६ ३४४८ २४३८ २४३७ ४०७१ ५६७१ ५७१८ ६०४६ ३२०३ ५६०२ २०३७ ८७ २७०६ ६२२१ ५२०३ ७७ ७६ ५३७ २६७२ २२८६ गमो पुरिसाणं जो तु ४६३६ पुरिसित्थी प्रागमले ६०५ ४२८८ ३७३६ ३७४१ १८१६ ३५४१ ५६६४ २६०२ २६०१ १८२८ ३०८० ३१३० पुरिसेसु भीरु महिलासु पुरिसहितो वत्थं पुरिसो प्रायरियादी पुरे कम्मम्मि कयम्मी " पुव्वतोवर असती पुत्रगते पुरम्रो वा पुव्वगयका लियसुए पुष्वगहितं च नासति पुव्वधरं दाऊणं पुष्वण्हमपट्ठविते. पुव्वण्हे वरण्हे पुष्वतव- संजमा होंति पुष्वपयावितमुदए पुग्नपरिगालियस्स उ पुष्वपरिसाडितस्स पुब्वषवत्ते गहणं पुष्पविगतरे पुब्वभरिणतं तु जं एत्थ पुव्वभरिणतों व जयरा पुष्व भवियपेम्मेणं 33 पुवभवियवेरेर पुवमभिण्णा भिणा १६८६ पुरुवं प्रदता भूतेसु पुष्यं प्रपासिकरणं पुरुवं गुरुरिण पडिसेविऊरण ७८२ पुव्वं चिय पडिसिद्धा २५५६ पुव्वं चितेयन्वं पुब्वं तु प्रसंभोगी पुवं दुश्चरियागं २६०२ पुव्वं पच्छा कम्मे पुव्वं पच्छा संय पुवं पच्छुद्दिट्ठ For Private & Personal Use Only ૨૪૪૭ ५५३ ३५७० ५०७१ १०६६ ४०६२ ४०६५ ४०६७ १७३ १०८६ £¥૪૭ ६०७१ २०२६ २०४० २०३६ ३३३२ १०७५ ६०५२ ८०१ २००८ २४०६ ५२०१ ५६८२ ३६५४ ३६५५ ३६४४ ३६५६ ४८६४ ६२७ 63 ६६२२ ३७७२ ५४६४ ४६१७ ३५७७ ५७७७ ५७७२ ५५०८, परिशिष्ट ५१४७ २०१६ १६७८ १६८६ १६८५ २५५४ १००३ ५४११ www.jainelibrary.org

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