Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications

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Page 542
________________ ५०८ पंच परिवृड्डी पंचन्हं वारणं चव्हायरियाई पंचतिरितं दबे उ पंचमगम्मि वि एवं पंचम-छ-सत्तमियाए पंचमहव्यय भेदो पंचमे प्रसादी पंचविधम्मि वि बत्थे पंचविधं सज्झायं पंचविहमसज्यायस पंचविह-व-कसिणे पंचसतदारणगहणे पंचमितस्स मुणिरणो पंचसयभोगि प्रगगी पंचसया चुल्लसीओ पंचसया तुलसीया पंचसया चोयाला पंचसया जातेणं पंचादित्थ पंथे पंचादी गिक्खित्ते पंचादी लहुगुरुगा 39 पंचादी लहु लहुया पंचादी ससद्धिं पंचासवप्पवतो पंचू दोमा पंचेगतरे गीए पंचेंदियारण द ise वातिए की पंडुइयामि घरासे पंतसुर-परिग्गहिते पंता उ असंपत्ती पंथसहायमसड्डो पंथे ति गवरि रोम्मं पंसू प्रचित्तरयो पंसु य मंस- रुहिरे Jain Education International ६४३६ ૨૬૪ ૪૬૨૨ २६२४ २१८२ ५१२३ २६०३ ६२०१ ५६४१. ७८ १ २३३३ ६११८ ६३५ ३०४५. १०३ ५१५७ ५६२१ ५६१६ ५६१६ ३६६५ १४७ २०७ ૪૨ ३८२ ३४१ १७८ ४३५१ ३२६४ ५५६६ ६१०० ३५६१ १६८५ १६०१ ५१४७ Y== २४४३ ६०८६ ६०८५ ३८८३ २४७८ ५८०० ७.७० ३०४७ ३८६७ १६४६ २५०७ ४२६५ ५४६८ ५१६६ २४६७ ५३६३ पाउस प्रलंभ पाउनमपाउना घट्ट मट्ट पाउल दुविध 33 पाएगा प्रहात च्चं पाए देति लोगो पाएगा बीयभोई पाडेज्ज व भिदेज्ज व पाणगजोगाहा रे पाणगावी जोग्गाई पागड्डा व पि पदम करणे पाएगा य भुजंति पाणातिपातमादी पागादिरहितदेसे पाणा सीतल कु पातणिमित्तं वसिमां पादऽच्छिनास कर पादप्यमज्जरगादी 29 पादस्स जं पमारणं पादादी तु पमज्जए। पादे पमज्जगादी पादे जो तु गमो पादोवगमं भरियं पादोसिय अङ्कुरते पाभारतमि काले पमाणातिरेगधरणे पामिश्चित पामियावितं पायऽच्छि - रास कर पायच्छित्ते प्रसंतम्मि पायच्छिते पुच्छा पायप्पमज्जगादी 17 पार्याम्म य जो उ गमो पायसहरणं घेता पायावच कुडुबिय For Private & Personal Use Only प्रथम परिशिष्ट ૨૪૪y ५.८६६ ८१६ १६४४ १६५३ ४३०१ ४५२% ४७९३ ४२०५ ३८८० ३८५० १६६४ ૪૫૨૭ ६३३३ १६६६ २७२ १२४५ ४६८७ ४६२४ ૪૨૪૨ ५०६१ ६१५ १८५५ २२८१ १५०० ३६४२ ६१५१ ६१५५ ४५२७ ४४८६ ४५७२ Fier ४८४५ २३०४ ३३१२ ११६४ ३१८७ २२०० ६३३ १६२२ ३६६३ ३८४८ ६८५ www.jainelibrary.org

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