Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications

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Page 540
________________ प्रथम परिनिष्ट ५०६ ४६४२ ६५७६ ८७० २४०६ ५७४ पदमागमंकमालवणे य पदमग्गो वागा पप्पडए मचित्त पप्पायरियं सोधी पभु-अरणुपभुगो प्रावेदणं पमागगाइरेगधरणे पम्हट्ठ प्रवहा वा पम्हुट्ठ पडिमारण पयतो पुगग संकलिता पयला उल्ले मला ५३३४ ६३५० ६४५३ ५३३३ २८१० ५८५७ २१०४ २९०८ ४००१ ५८२४ २५५६ ६३६४ ४३०२ २६८ ८८२ १६६१ ४०३२ " ५८०५ पयला गिद-सुय ३७१४ परणगातिमनिक्कतो परागाति मासपत्तो. परणगातिरेग जा पापणगाति हरितमुच्छा पणगादि प्रसंपादिमं पणगादि संगहो होति परगतीसं ठवरणपदा पण दस पण्णर वीसा परण्यालदिणे गणिग्गो पण्यालीसं दिवसे पणवीसजुतं पुण परगहीए तिभाग परिणधागा जोगजुत्तो पगिया य भंडसाला पण्णत्ति चंद-सूर पणत्ति जंबुद्दीवे पण्णारस दस व पंच व पण्णवणामेत्तमिदं पण्णवणिज्जा भावा पण्णवणे च उवेहं पण्णार पण्णही पण्णासा पाडिज्जति पति दिवसमलम्भंते पतम्मि सो व अन्नो पत्तं पत्ताबंधो ५३८४ १६६४ ३७१५ २८६१ ३२६५ २१६८ ३४३६ ३५४४ ३२७४ ५२७२ ५२९७ ४३०६ ४८२३ पयलामि कि दिवा परतित्थियउवगरणं एरतो सयं व गच्चा परदेसगए गणातु परपसम्मि य जयगा। परपक्खम्मि विदार परपक्खं तु सपक्खें परपक्खे उ सपक्खो परपक्खो उ सपक्खे परपक्खो परपक्खे परमद्धजोयगाग्रो ३३५६ ६४७७ ३४२१ ४५७३ ३६८८ ३६८६ ३६६० ३२८५ ३२६३ ५७८७ परमद्धजोयागातो ६८० ५२८७ ५३१४ ४८४० २७८ ५७६० पत्तं वा उच्छेदे पत्ताणं पुप्फाणं पत्तारगमसंसतं पत्ताबंधपमाणं पत्तेगे साहारण पत्तेयचडुगामति पत्तेय समरण दिक्खिय पत्तेयं पत्तेयं ४६४१ २५४ . २३६८ २३८० ४१६८ ४१६५ २७८१ १३७७ ३०४७ ६८६ २०८५ ५८१४ परवत्तियागा किरिया परवयणाऽऽउद्दे परसक्खियं गिबंधति परिकम्मरण मुक्कोसं परिकम्मो चउभंगो ४८०६ ४०१७ ६५०१ ६५७१ ५१६१ २४६६ पत्थारदोसकारी रस्थिव-गिडधिकारो परिगलण वडो वा २५११ परिघट्टण णिन्मोयगण परिघट्टणं तु णिहणं ६६४ ७०६ www.jainelibrary.org For Private & Personal Use Only Jain Education International

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