Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications

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Page 555
________________ समाष्यचूरिण निशीथसूत्र लक्रसि उवषाय पंड लज्जाए गोरवेण व तपय खलुते लसूण अवस्थे लगुण रणये इतरे लढण माणुसत्त लग वेिदेती लद्ध तीरित कज्जं लहु उ उहा लहु गुरु मासो लहू य दो दोसु भ लोय दो य लहुम्रो य होइ मासो लहुघो लहूगा गुरुगा लहु लहुया गुरुवा लहु लहुया दुपडादिएसु लहुगा तुम्हम्मी "1 "" लहुगा तो परि लहुगा य गिरालंबे गाय दो दो य लहु गुरु लहुया गुरुगा लहुगो गुरुगो गुरुगो लहुगो य होइ मासो लहुगो लहुगा गुरुगा लहुगो बंजरग भेदे लहुताहादीजण यं लहुयादी वा वारि लहुया लहु सुद्धो लाउयदास्यपाते लाउयदारुयपादे " लाभालाभपरिच्छा 27 लाभालाभ-सुह-दुक्ख लाभालाभ सुहदुहं लाभित नितो पुट्ठो Jain Education International ल ३५८० ६८ १ ४२३४ ५०१४ ३२४५ १७१८ ३३३ १३८४ २७८० २६४६ १०६ १०८ ३७२ १८२० ६६३ १६ ४७५८ ५२६६ ५२८० ४६०५ ४७३५ ४७२२ ५६४ १०७ २२४६ ३२० १८ ६३६१ ८६६ ६६३३ ६८५ ७२६ ६७५ ६७८ ૬૪ २६८७ ४२६१ ४५१६ ५६४४ ६१४ ४२७० ३७४० ४६४८ २६६६ ५८४४ लाला तया विसे वा लिक्खत - रिगज्जमाणे feng free d लिंगरथमादियाणं लिंगरथस्स गिरथेसु प्रकप्पं तु वज्जो लिंगम्मि य च उभंगो लिंगेण कालियाए लिंगेण चैव किढिया 33 १०४१ ८७७ ८६१ लिंगे लिंगे लिंगिणीए लित्थारणं दवेणं लिवि भासा प्रत्येण व लुद्धस्स भंतरम्रो लेवकडे वोसट्ठ ४६५५ ६१२० ६१२० लेवाडमणाभोगा ३८५२ लेवाडहत्यकेिरण ६१०८ पिसित गहणे ९०१ लेव्ह तीहि पूर्ति ३३४८ लोइय लोउत्तरियं लोइयववहारेस लोउत्तरम्मि ठविता लोए वि होति गरहा लोग हवाइ दुर्गा छा लोकारका लोगच्छेयभूयं लोगविरुद्ध दुपरिच्चयो लोगे जह माता ऊ लोगे वि य परिवाओ लोणं व गिलाण्ट्ठा लोभ एसघातो "" लोभे य श्राभियोगे लोयस्सग्गहकरा लोलंति मही य धूली लोती छम-मु लोवए पवए जोहे इगा प्रयोग-योगी For Private & Personal Use Only व. ३४७५ २२६७ १९७७ ३०१३ ११५८ ५०२८ २२३४ ૪૪૬ २२३२ ४३७ १६६० १८७४ २२६२ २६६१ ५८३५ ४२० ४६०६ ५०६ ६६४ ४३५६ १६२२ ६०५५ ४५४३ ४४२३ ५७३७ ३०६३ ६२६४ ५५२५ १७४ २५०५ २५२३ ५०७२ ३५५३ ४३८७ १७४७ ३६२७ १६०÷ ५२१ २६८१ १६१७ ३५३६ ६२७ १८९३ ४०११ ३२६८ १६६२ ५४२७ ६३८६ २८१७ ३७७० www.jainelibrary.org

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