Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications

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Page 584
________________ ५५० प्रभिन्न प्रलम्ब से संयती को मोहोदय संमर्ग का महत्त्व दत्त वस्तु का पुनरादान संयती पर कार्मण-प्रयोग वस्त्र-विभूषा से हानि स्त्रीयुक्त वसति से चारित्रहानि आज्ञा भंग पर गुरुतर दंड सुख-विज्ञप्य, सुख-मोच्य आदि स्त्री "" 39 11 व्युद्ग्रह अपक्रान्त अनार्य देशों में मुनि-विहार से आत्म-विराधना ग्रन्थ-द्रविडादि देशों में मुनि-विहार मात्रक की आवश्यकता अस्वाध्याय में स्वाध्याय से हानि पंचविध अस्वाध्याय ग्राचार्यादिपरिगृहीत गच्छ परिकुचित आलोचना तीन बार आलोचना द्विमासादि परिकुचित (अन्य संगोपन ) 33 " विषम प्रतिमेवना की ममसुद्धि अनवस्था-प्रसंग का निवारणा जानबूझकर बहु प्रतिमेवना अनेक अपराधों का एक दण्ड अपरिकुचितता की दृष्टि से एक दण्ड दुर्बलता की दृष्टि से एक दण्ड प्राचार्य की दृष्टि में एक दण्ड गीतार्थ और प्रगीत परिणामको को विन अगीन परिणामत्र और अतिपरिणामों को प्रायश्चित्त यतना और प्रयत्ना सम्बन्धी प्राचिन Jain Education International महादेवी को कर्कटी से विकारोत्पति दो शुक-बन्धु विक्रीत वृक्ष का पुनर्प्र हरण विद्याभिमन्त्रित पुष्प रत्न- कम्बल के काररण तस्करोपद्रव चतुर्थ भाग प्रग्नितप्त जतु चन्द्रगुप्त मौर्य पांच सौ व्यन्तर देवी रत्न देवता अर्हनक सिंही (शेरनी) मानुषी की कुक्कुर - रति प्रादि निह्नव बहुरत पालक द्वारा स्कन्दक का यन्त्र-पीलन मौर्य नरेश संप्रति वारत्तग मंत्रीपुत्र का सत्रागार म्लेच्छाक्रमरण पर नृप - घोषणा पाँच राजपुरुष पक्षी और पिंजरा अव्यक्त शल्य से अश्व- मृत्यु - न्यायाधीश के सम्मुख बयान को तीन बार श्रावृत्ति मत्स्य भक्षी तापस सशल्य सैनिक दो मालाकार चतुर्थ परिशिष्ट चार प्रकार के मेघ पाँच बरिगकों में १५ गधों का बंटवारा धान्य- ग्रहरण पर विजेता सेनापतियों को दण्ड गंजा तम्बोली और सिपाही रथकार की भार्या चोर बॅल और गाड़ी मूल देव चतुर वणिक का शुल्क मूखं ब्राह्मण का शुल्क निधि पाने वाले वरिषक और ब्रा For Private & Personal Use Only ५३६ ५६१ ५८१ ५८४ sex ४ १० १४ १४ २१ 62 २२ २२ १०१ १२७ १२८ १५८ २२६ २३० २६२ ३०४ ३०५ ३०६ ३०६ ३०६ ३०७ ३०६ ३११ ३१२ ३४२ ३४२ ३४३ ३४३ ३४४ ३४४ ३४५ www.jainelibrary.org

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