Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications

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Page 582
________________ অখ ববি হাত २६७ गाना-मूड मादृश्य-मूढ वेद-मूह व्युद्ग्राहा मूड m २६६ २६६ २६९ २७६ हस्तपादादि-विजित बिम्ब अज्ञात भाव में गर्भवती की प्रव्रज्या प्रत्यनीक द्वारा माध्वी का गर्भवती होना पुग्धपानादि से अनभिज्ञ के महावत म्यविर से पूर्व क्षल्लक की उपस्थापना भाव-मलेखना एक ऊंटवाल प्राममहतर और चीर-सेनापति मात-गामी राजकुमार अनंग मातृ-गामी वणिक-पुत्र पंचशैल जाने वाला अनंग सेन अन्वपुरुष और धूर्त पशुपालक और स्वर्णकार मृगावती-पुत्र करकण्डमाता पावतो पेढाल के द्वारा गर्भवती ज्येष्टा स्थाणु पर पुष्पमालारोहण राजा के द्वारा पुत्र को राजसिंहासन अमात्य और कोंकणक क्रोध में अपनी उंगली तोड़ देने वाला भिक्षु सहस्रयोषो का कवच कंचनपुर में क्षमक का पारण २६६ २६८ उत्तमार्थ प्रतिपन्न का माहार प्रत्याख्यान-कालीन प्राभोग (उपयोग) पादोगमन में धैर्य ३१२ ३१२ mmmmm Morum पुस्तक में होने वाली जीव-हिंगा ३२२ चाणक्य पिपीलिकाओं का उसगं कालासग वेसिय अवन्ति सुकुमाल जल-प्रवाह का उपसर्ग बत्तीस घड़ा चतुरंगिणो सेना से प्रावेष्टित मृग दुग्ध-पतित मक्षिका मछली पकड़ने का जाल तिलपोलक चक्र (घाणी) जंन श्रमण और बौद्ध भिक्ष इन्द्र को ब्रह्महत्या का शाप कृपण वणिक् को गृहचिन्तिका पत्नी गांव के समीप कुबड़ी बदरो (बेरी) मुरुड राजा कम्बल सबल नागकुमार और नौकारूढ़ भगवान् महावीर जरा-जीर्ण स्थविर रुक्ष भोजनगत स्नेह-गुण पृथ्वीगत स्नेह गुण ३२२ ३२२ ३२५ म्यापित ग्रासन का मदोता पुर: कर्मकृत कर्मवन्ध का अधिकारी ? भिक्षार्थ क्षेत्रवृद्धि करने के गुग्ग ३५७ ३५८ s नौका-नयन सम्बन्धी अनुकम्पा नौका-नपन सम्बन्धी द्वेप m एकेन्द्रिय जीवों की वंदना एकेन्द्रिय जीवों का उपयोग . ३७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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