Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications

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Page 580
________________ ૪૬ प्राणातिपात-पिका प्रतिमेवना लौकिक मृषावाद भयनिमित्तक प्रकृत्य सेवन प्रणीत प्रहार निरन्तर कार्यसंलग्नता अंगादान का संचालनादि अखण्ड वस्त्र - ग्रहरण की सदोषता कलुष- परिष्ठापन रस-भोजन सम्बन्धी लुब्धता - प्रलुब्धता साधुगुरा का चिन्ह रजोहरण अविमुक्ति अर्थात् गृद्धि यथावसर स्थापना-कुलों में प्रवेश से हानि निष्कारण संयती वसति में गमन निर्वर्तनाधिकररण: = जीवोत्पादन संवृत हास्य " " " प्रस्रवण भूमि का प्रतिलेखन असंभोग सम्बन्धी पृच्छा विसंभोग का प्रारम्भ "3 अभियोग प्रतिसेजना लोक कथाओं का अनुपदेश सोपसर्ग- स्थिति में संयनी के साथ विहार " अधिकरगा का अनुपशम नम सपराध में विषम दण्ड स्वगग्ग तथा परगण में दण्ड की अल्पाधिकता दुष्ट राजा की शिक्षार्थ अनुशासन Jain Education International सिंहमारक कोंकण भिक्षु अवन्तो के शशकादि धृतं पुत्रार्थी राजा और भीत तरुण भिक्षु द्वितीय भाग ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती का भोजन और पुरोहित कुलवधू का कामोपशमन सिंह, सर्प आदि सात उदाहरण कम्बल रत्नग्राही श्राचार्य और चोर Heat, छिपकली श्रादि प्रार्थमंग और प्रार्यसमुद्र मरहट्ट देश में रसापरण ध्वजा वीरल्लशकुनि ( श्येन पक्षी) यथावसर गो-दोहन न करने वाला गृहस्थ यथावसर फूल न तोड़ने वाला माली बीरल्ल शकुनि ( श्येन पक्षी) श्राचार्य सिद्धसेन द्वारा श्रश्वनिर्मारण महिष और दृष्टिविष सर्प का निर्माण श्रेष्ठी, पांच सौ तापस तृतीय भाग चतुथं परिशिष्ट भिक्षु का मृतक हास्य खेला (चेल्लग) और ऊँट प्रगड आदि के ६ उदाहरण श्रयं सुहस्ती और श्रयं महागिरि सम्प्रति राजा का जन्म पुत्रार्थी राजा और तरुण भिक्षु मल्ली गृहोत्पत्ति कथा कहने वाला भिक्षु दो यादव श्रमण-बन्धु और भगिनी सुकुमालिका साध्वी (मद्य की दूकान ) पर कलहरत सरटों द्वारा जलचर-नाश क्रोधो दमक और कनकरस राजा द्वारा तीन पुत्रों को विभिन्न दण्ड पति द्वारा चार भार्यानों को विभिन्न दण्ड प्रायं खउड बाहुबली संभूत (ब्रह्मदत्तचक्रवर्ती का भ्राता) हरिकेश बल For Private & Personal Use Only १०० १०२-१०५ १२७ २१ २२ २८ ६७ १२३ १२५ १३६ १३७ २४८ २४८ २६० २८१ २८१ २८५. २८६ २६८ ३५६ ३६० ३६० ३८१ ४१६ ४१७ ४१ ४३ ४८ ५२ ५८ ५८ ५८ ५८ 1 www.jainelibrary.org

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