Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications
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प्रथम परिशिष्ट
२०६४
५०६ ३५३५ १८६० १२५७
५६.८ ३२८७
वीयारे बहि गुरुगा वीरल्लसउरिण वित्तासियं वीरवरस्स भगवतो वीसज्जिता य तेणं वीसष्ट्रारस लह गुरु वीसत्यादी दोसा वीसस्था य गिलागणा वीसरसहरुवंते वीसं तु पाउलेहा
२७१३ १०४६ ३३३७
२४५६ १६७२ ४२१८ ५७५६ ६५४३ ३७७८ १६७० ६१५६ ४६६३ ५८७० ६५२१ ६४३३ ६४७५ ५६१४
४०४५
६०४०
९३४
५५७६
२६१५
विषुवरण गंत कुसादी विपुलकुले मस्थि बालो विपुलं च अण्णपारणं विप्परिणतम्मि भावे विप्परिणमेव सण्णी विप्परिणामणसेहे विमलीकतऽम्ह वक्खू विम्हावरणा तु दुविधा वियडत्तो छक्काए वियत्तस्स उ वाहिं वियडं गिण्हइ वियरति वियरऽभिधारण वाते विरए य प्रविरए वा विरतिसहावं चरणं विरहालंभे सूलविरहे उ मठायतं বিবাবি তা विलउलए य जायइ विलियंति प्रारुभंते विवरीय दन्त्रकहणे विसकुभ सेय मंते विसगरमादी लोए विसमा प्रारोवरणाए विसय कलहेतरं वा विसुप्रावरणसुक्कवरणं विहमदाणं भरिणतं विहरण वायरण भावामगागा विहि-प्रविहीभिण्णम्मी विहिरिणग्गतादि विहिणिग्गतो तु जतितु विहिबंधो विरण कप्पति विहिभिण्णम्मि ए कप्पति विहिसुत्ते जो उ गमो वीमंसा पडिणीता वीमंसा पडिणीयट्टया वीयरग समीवाराम वीयार-गोयरे थेरसंजुम्रो वीयारभूमि असती वीयारभूमि-दोसा
३७५८ ४०५५ ४७६४
३५८ २६५७ ४१३६ ३४६५ ४६४६ २६१ २०४ १८०६ ६४६२ २२५७
८४५ ५६३४
३७६०
वीसं वीसं भंडी वीसाए अदमासं वीसाए तू वीसं वीसा दो वाससया वीसा य सयं परणयालीमा वीसु उवस्मते वा वीसुदिण्णे पुच्छा वीसुभूयो राया बुग्गहडंडियमादी वुग्गहवक्कंताणं दुत्तं दबावातं वुत्त वत्थग्गहरणं सिरातियागरणातो दुसि संविग्गो भणिती वेउन्वियलद्धी वा वेकच्छिता तु पट्टो वेजस्स पुष्वभरिणयं वेज्जस्स व दग्वस्स व वेज ण चेव पुच्छह वेज्जेट्टग एगदुगादि वेज्जे पुच्छरण जयगणा वेण्टियगहरिणखेवे वेयावरचस्सट्टा वेयावच्चे अगलो वेयावच्चे तिविहे वेरग्गकरं जं वा वि वेरग्गकहा विसयागा वेरग्गितो विवित्तो य
२८४२ ६४०७ १७३८ ६०१४ ५४६४
३६६ ३२७६ ५४५१ ५४२१ २५८७ १४०५ ४६६८ ३०७४
४०८६
५४०१
१०२८
७४० ४९२० ३१२३
१०५७
४८६० ४८८६
२६८
२४६४
२०७४
३७७३ ६६०५
२६१२
१०६३ १०६२
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