Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications

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Page 570
________________ द्वितीयं परिशिष्टम् निशचूर्णी चूपिका रेगोद्ध तानि गायादिप्रमाणानि c काले खरसि भिक्लू feere य सूरिये प्रलुग्धातियारण गुलिया मट्ठविहं कम्मरयं अट्ठारसपपसहस्सियो बेबो अट्ठारसपुरितेषु परिवर्ण भन्ते समा अन्नं मंडेहि ब अपत्यं जंगमं भोपा किन मध्ये सिवा गोबलबाए १ [देश० प्र० ५, उ० २ गा० ५ | १ २१ विभाग पृष्ठ अप्पोबही कलहविषा य अम्भतरना सुनिया अभ्युवगते तु वासाबाले ४ 6. ' Jain Education International ૩૬૭ 1 १ १३२ [ निशीथभाष्य, गा० ३५०५ तुलना ] ४ ४०० I 1 ५ ३ ५४७ [देश० प्र०५ उ० १, ०७४] ४ 1 २ १७७ [ कल्पवृहदभाष्य ] ३ २५० [ उत्त० प्र० ७, गा० ११ ] १ ६५ I १५७ [ दश० ० २, पा० x २१ ३ १२२ [ माचा० ० २ ० ३ उ० १ सू० १११] ३ प्रभिति छका मुहते भरसं विरसं वा वि अरहा प्रत्थ भासति प्रवसेसा क्वता (घ) वंसी केयावती लोगंसि प्रसंसत afed प्रोमोfre ग्रहयं दुक्खं पत्तो महाकडेहि रंवंति कुसिय ] २ १२६ | दश० प्र० ५ उ० १, गा० ६८ ] १४ १ | बहकल्प भाष्य, गा० १९३] ४ २७७ प्रापइत्ता तुमालता प्रादिमते भतिते चासाचिय चरणं For Private & Personal Use Only विभाग पृष्ठ २७७ 1 १ १३ प्राचा० ० १ ० ५ ३० १] २ ४१६ } Бе } ४५ } १३ } ३६३ } ** 1 246 ३१३ ५४ } www.jainelibrary.org

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