Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications

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Page 549
________________ सभाष्यचूगिण निशीय सूत्र ३०६६ ६७४ ४७२ वितियपदे कालगते विनियपदे जावोग्गहो वितियपदे जो तु परं बितियपदे दोषिण विबह बितियपदे वसपीए बितियपदे वाघातो बितियपदे वासासू बितियपदे सागारे रितियपदे सेहादी बितियपय तेग सावय बितियपयमगणाभोगे बितियाम्मि रयण देवय ११२० १२८५ १६५० ८४८ १५५४ २४४ १९६८ बीयपय तेरा सावय बीयं जोगागाढ बीयं तु अप्परूढ बीयादि मुहम घट्टण बीयारभूमि असती बीसीयठवणाए तू बीहावेती भिक्खू बैंटियमाइए बेरग्गकहा विसयारण बोडिय सिवभूइग्रो ५६६३ बोरीए दिट्ठतं बोहण पडिमोद्दायण बोहिंग-मेच्छादिभए ६००६ १९२० ४२६१ २४८ १०६३ ६४८२ ३३१८ २८७ ३६१४ ५६२० ४१७८ ५२६७ ५७२५ १००० ६३८० ४४३३ बितियम्मी दिवसम्मि बितियं अपहुप्पंते बितियं उप्पाएतु बितियं गिहि प्रोमणा बितियं गुरूवएसा बितियं च वुडढमड्डोरगे य बितियं पढमे ततिए बितियं पढमे बितिए बितिय पभुगिव्विसा ६०८० ३२७५ ५१५८ ५३७८ ५८० ५४८५ २८५६ ३२२१ २८६७ १६२७ २६५१ ४०३७ १२४० १२८० १२६८ ६०५६ ६०६२ ६०६६ ५३६० भगवं ! अगुग्गहंता ५५६२ भागधरे कुड्ड सु य भगइ य पाहं वेज्जो भाइ य दिट्ट णियत्ते भरणति रहे जइ एवं भगामारण भारावेतो भरिणतो य हंद गेण्हह भणिया तु अरगुग्धाया भण्रगति सज्झमसझं भगति जहा तु कोती भनट्टणमालोए भत्तद्वितऽपाहाडा भत्तपरिण गिलाणे २६५६ ५५५८ १७६० ५४५७ ४१५७ ५२७६ बितियं पहगि विमए बितियाऽऽगाढे सागारियादि २३६८ २४०० ४०१६ १२२८ ५१३६ ४८३५ ४८३७ ३८४२ २४८६ ६०६६ ६६२ बितियातो पढमपुव्वा बितियादेसे भिक्खू बिंदू य छिय परिणय बिय तिय चउरो ६१७६ ४१४२ ३४१४ ५६०७ १८८८ भत्तमदारणमडते भत्तस्स व पारणस्स व ५२६४ २८६६ भत्तं वा पारणं वा भत्ताति-संकिलेसो भत्तामासे लेवे भत्ते पाणे धोवरण भत्ते पारणे विस्सामणे भत्ते पाणे सयपासणे ३३२४ भत्ते पण्णावग निग्रहणा भत्तेग व पाणे व २६० ३७७ ३४०१ ४६६७ ५२४२ ५८६३ १८६३ २६८६ ८६७ ३५४० ३४५१ .३५५८ २७०३ ३४५४ बिले मूलं गुरुगा वा वीएसु जो उ गमो बीएहि कंदमादी २६०४ ५०७६ २६०७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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