Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications

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Page 550
________________ ११६ प्रथम परिशिष्ट २४८३ १८०० २५३० ५६८१ २४८२ ४७५३ १०३२ ३५४५ भत्तोषिवोच्चेदं अत्तोवधिसंजोए भत्तोवहिवोच्छवं भगवयरणे ममत्र मदगो तथ्णीसाए महेतरसुर-मणुया भइतरा तु दोसा भद्देसु रायपि भद्दो उग्गमदोसे महो तष्णिस्साए मद्दो पुण अग्गहगं भद्दो सव्वं वितरति भमुहाम्रो दंतसोषण भयउत्तरपगडीए भयगेलणवाणे भयरणपदारण बउण्हं भयणपदाण चतुष्हं भावित करण सहायो भावितकुलारिण पविसति भावितकुलेसु गहणं ३०९. भावे उक्कोस-परणीत ३५८८ भावे पाउम्गस्सा ८९५ भावे पुण कोषादी भावेण य दवेण य भावो तुरिणग्गए सि भासचवलो चउरा ३५८८ भासणे संपातियहो ४६४३ भा-ससि-रितु-सूरमासा भिक्खचरस्सऽन्नस्स वि भिक्खरणसीलो भिक्खू भिक्ख-वियार-विहारे भिक्खस्स व वसघीय व भिक्खं चिय हिता भिक्खं पिय परिहायति ८५६ ४२६२ ७५३ २५३८ १४५३ २५२६ १३७६ २५७७ ५३५१ १७० ४८९५ ११६४ ८८८ ८६२ ४७२० ३२६२ ६२.४ ३१७८ ६२८७ ४०६६ ६२७५ १५२४ २३७६ ५०१६ ३७४ २२४७ ४३४ ६३१७ १८५२ ३३२१ ४८१३ ४९५७ २३४६ १९३८ २४३६ २२६६ भल्लायगमादी भवपच्चइया लीगा भववीरियं गुणवीरियं भवेज्ज जइ वाषातो भंडी वहिलग काए मंडी-बहिलग-भरवाहिएसु भागप्पमाणगहणे भारणस्स कप्पकरणं भायणदेसा एंतो भायणुकम्पपरिष्णा भारेण वेयरणाए भारेण वेयरणाते भारो भय परितावरण भारो भय परियावरण भारो विलवियमेतं भाववार सपदं भावम्मि उ पडिबढे ३८४६ १४८५ ५६६६ ५८२७ ११०६ २३६६ ४५६१ २३५६ ४१६६ ५८२६ ३२८० ६७० ५६७ ४७३० ५२७ ५२८ ५४० ३८८ ४७१४ भिक्खातिगतो रोगी भिक्खाति-णिग्गएसु भिक्खातिवियारगते भिक्खादी बच्चते भिक्खुगमादि उवासग ३१११ भिक्खुणो प्रतिक्कमंते ४००४ भिक्खुदगसमारंभे भिक्खुवसहीसुबह व ४६०७ भिक्खुसरक्ले ताबस भिक्खुसरिसी तु गणिणी ५२५६ भिवायुम्म ततियगहणे ५२८८ भिक्षुस्स दोहि लहगा भिक्खूगा जहि देसे ६०० भिक्खू जहणणयम्मी भिक्खे परिहार्यते भिण्णरहस्से वनरे २५९२ भिष्णस्स परूवणता २५६३ भिण्णं गणणाजुत्तं २६०५ भिण्णं समतिक्कतो ८४४ भिण्णाणि देह भेत्तूण ३२३ ३४१६ ४४८९ ३२८६ ५७३२ ८७२ २६२२ २८५५ ५५२४ ५८२० ५५८८ ५४२६ . . ४४६४ ६७०२ ४६१८ ९७३ ५८१० १४४६ ४६२८ भावंमिठायमारगो भावंमि रागदोसा भावामं पि य दुविहं १०६५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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