Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications

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Page 484
________________ ४० प्रथम परिशिष्ट १६२० प्रगुजा परेणं . प्रारंतस्स तु जोगामी प्रावस्मिण नवस्मि प्रतसि हिरिमंथ तिपुड अतिप्रातरो से दीमति अनिमे वनिक्कमे अनिम प्रमिला जरा ग्रनिभगिय प्रभागते वा ४६७७ ६४१७ ५१८१ प्रद्ध' तेरस पक्खे प्रधागा ग्रोम असिवे प्रतारण प्रोप दुई पद्धारण कज्ज संभम ७१२ ७२. २८३२ ४६२० १६०६ १८१६ २७०८ ५७४२ ५८४. २५३ १८८ ३२४२ प्रद्धागारिणग्मयट्ठा प्रद्धागतिग्गतादी पनि ने उग्गालो पतिपित्ताग ठितागं प्रतिग उवधिप्रघि अनिरेगदिट्ट दोमा प्रतिरेग-दुधित कारण अनि मि जगम्मि वो ग्रनेगाहडारण-गायगो अत्तट्ट परट्टा वा प्रत्तट्रा परम्स व अनागा नोरमेया प्रतागामादिए २६५३ ५५२ २१७६ ४५२६ ४५४६ १७३६ १२६६ ३२३३ ४६०० ४२५८ १५३२ १९६७ १९८५ २१६२ ३२३१ ५३०० ३२३२ २२१ ४२५६ २७६७ २७६८ प्रदागरणगतादीरामदेते ग्रवारगिग्गयादी .३६७ ४८८१ अत्तागमादियारणं यनीकरगां रणो अनीकरणादीम ग्रन्यवगे तु पमारणं प्रत्ययते प्रत्यी वा. অার বি নিশি प्रत्यगय मंकप्पे २१४८ २५५० ५१६५ ५२८५ १८५४ २२ १५७६ ३६८६ २८९२ २८१८ २४२३ ४६१२ ३२१४ ग्रन्थंडिल मेगतरे ग्रन्थि नि होइलह पो ग्रन्थि मि घरे वि त्या प्रत्यय मे जोगवादी प्रयि हु वमभग्गामा प्रदिपस्स्तेम अट्टिानो दिट्ट अट्ट अट्टमामा ग्रहमाम पखे १८४५ ५०३७ २६७८ १९४३ ६०४८ ४६११ ५७५७ प्रद्ध गणिग्गयादी प्रद्धाण गया वा ग्रद्धारा दुक्त मेज्जा प्रद्धागा पयिम मागो प्रद्धागबालकुवा १८८० अदाग-बाल दुर ४८५१ प्रद्धारगममथरगो प्रद्धागामि विदिता प्रदामिनहाजन प्रद्धा विविना वा ४८८३ ४६१८ ४५६७ ५००० २८७७ २८१६ २८ अदाग-मददोमा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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