Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications

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Page 513
________________ सभापणि निशीथसूच २००४ मीयत्वमहलेणं ४१२८ ४०७० ४१०८ ३८३२ ३६२४ ५५५६ ५२८३ ३०३५ ५५६३ ४८८४ ४०. ५४६२ १.२२ १८४७ ४६४६ मामाइ-सम्णिवेसा गामारण दोन्ह बेरं गामादी ठाणा बसु गामेय कुन्छियमकुचिते गारवकारणवेत्ताइयो गावी उट्टी महिसी गावी पीता वासी गाह गिहं तस्स पती गाहेइ जलामो पलं गिम्हति णिसीतितुवा गिव्हते चिट्टते गिण्हामो प्रतिरेगं गिम्हातिकालपाणग गिम्हासु चउ पडला गिम्हासु तिष्णि पहला गिम्हासु पंच पडला गिरिजमगगमादीसु य गिरिजत्तपट्टियाणं गिरिजत्ता गयगहणी गिरिणदि पुण्गा वाला गिरिपडणादी मरणा गिह वच्चं पेरंता गिहि अण्णतिस्थि गिहि-पण्यतिथिएहि व गिहि-अण्णतित्थियारण व २०७१ ६५८५ ५४५६ ५४६० ३७७६ मीयत्वदुल्लमंस ५३१७ २३६१ मीयत्वममीयत्वं ५९८३ मीयत्वविहारातो १०३४ मीयत्वस्स वि एवं ६५१४ मीयत्वे मारण्यणं १०८२ गीयस्थे मेसिजति मीयत्वेण सयं वा ५६१८ गीयत्वेसु वि भयरणा गीयत्यो जतगाए ४५५५ गीयमगीमो गीमो २४१३ ५७६८ ३६५ गोयमगीतागीते ५७६७ ३६७४ गीयाण व मीसारण व ५७६९ ___३९७६ गुज्मंग-वयण-कक्खोर ३४०३ २०५५ गुणनिप्फत्ती बहुगी य २५६५ गुणपरिवुद्धिणिमित्तं २५६६ गुणसयसहस्सकलियं ४२३६ ५६४६ गुणसंपरेण पच्छा ३८०१ गुणसंयवेण पुल्चि १५३५ ३२१६ गुत्ता गुत्तदुवारा गुत्तो पुरण जो साधू ५७७१ गुरुमो पउलहु पउगुरु ४११२ गुरु गणिणिपादमूलं ४२८८ ४३०८ गुरु पाउणए दुव्वल ६२६१ गुरुवचइया भासायणा ६०४७ गुरुसज्मिलए समतिए गुरुगा प्राणालोके. ३३०५ गुरुगा उ समोसरणे गुरुगा पुण कोडुबे ४३६२ गुरुगा य गुरू-गिलाणे गुरुगो जावज्जीवं ४०४६ गुरुणो व अप्परगो वा २४७७ गुग्विरिण बालवच्छा य ६३२८ गूढसिरागं पत्तं ६५२५ गेण्हण कडणववहारो ५३५ गेण्हणे गुरुगा छम्मासा ३४५५ १८२७ गेण्हणे गुरुगा छम्मास ५५६१ १७५३ ४५३८ १०२४ ५४३८ १०४८ १०४६ २४५७ २०५८ ४००८ ५४२१ ३१२२ २७०४ २४१४ ५८३२ २६४ ५५१८ ५७१० ३३५ ४७५२ ५८३३ २६८६ ३६०७ ३५०८ ૪૨૭ ४५२. ३३७५ ४७६२ ५९४ ४००६ गिहिमण्णतित्थियाणं गिहि-कुल-पाणागारे गिहिणं भूलगुणेसू गिहिणात पिसीय सिंगे गिहिरिणक्खमणपवेसे गिहिरणोऽवरज्झमाणे गिहिमत्ते जो उ गमो गिहिसहितो वा संका गिहिसंजयअहिकरणे गीमो विकोवितो खलु गीतारिण य पढितारिण म गीयत्यग्गहरणेणं ३८३ ५१७४ ६०४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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