Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications
View full book text ________________
YE
बिसिंग
वाला
रंग विवित्ता जत्थ मुणी गहु ते दव्वसंलेहं रण हु होति सोयितब्बो
उतीए पक्ख तीसा
क्से विदिस्तामि ति
क्वेरावि हु विज्जति एभ्यासम्म ठो
गच्चुप्पइतं दुक्तं
पतितं तुम
"1
"
"
-चुप्पतियं युक्रां गज्जं तमरणज्जं ट्ट' होति प्रगीयं गट्ठा पंचफिडिता
हित विस्सरिते
"
29
27
"
""
"?
32
यि विसरिए
गत्वि प्रगीयत्यो वा
"
पत्वि प्रणिदारणं तो
गत्थि कहाली मे रात्थि खलु प्रपञ्छिती रणत्थि रग मोल्लं उबनि रणत्थि संकियसंघाडमंडली त्येयं मे जमिच्छह दिकण्हण्णादीने दिकोप्पर चरणं वा दिपूरण वसती रायणे दिट्ठ गहिते
Jain Education International
३२११
१६७६
३८५५
१७१७
૬૪v૨
६८१
४८०४
२४३५
१५१२
१५०३
१५०८
४१६७
४२०२
४३३३
३५६५
५१०१
४३०६
६६६
८१३
८३२
८४६
१६४५
१९४७
१६५६
४६८८
१६५४
५२३१
५३५४
४६१२
१३४५
५१३६
१३८२
६३५३
६३५४
४४७०
४२३३
१७१२
१२६४
यदि सि
यणे पूरे दिट्ठ
यवज्जिग्रो विह भलं
रणव भागकए वत्थे
एगव य सया य सहस्सं रणवसोप्रो खलु पुरिसो
गवकालवेलसेसे
रणवबंभचेरमइम्रो
रणवमस्स ततियवत्युं
रणवमस्स ततियवत्थू
गवसत्तए दसमवित्वरे
वंगसोतपडिबोहयाए
रणवारणवे विभासा तु
रह-दंतादि तरं
महारणादि कोउकम्मं गंदंति जेरण तवसंजमेसु
गाइ
लहुसणं गाकरणमगुणवरणा गाकरण य वोच्छेद
33
"
राऊरण य वोच्छेयं
"
*
"
ל
गागा जलवासीया
राग दंसणा
""
""
णार रिणमित्तं भद्धारणमेत
रारिणमित्तं प्रासेवियं
गारगस्स होइ भागी
राणादट्ठा forear
रंगागादि तिमकडिल्लं
खारणादिति गस्सा
राणादिसंघट्टा
For Private & Personal Use Only
प्रथम परिशिष्ट
१२६१
५३११
६१८६
५०८६
६४७३
२३२४
६१५६
१
६५८७
२८७३
३८८७
३६५६
१६३
५०६
४२८६
૩૪૬૬
έος
२५७१
६१८३
६२३८
६२४१
२७३०
२७६३
५४७८
५४६६
५५००
६१६७
२७८५
१६६६
३४२७
WE
३८६८
३८६७
५४५७
३६२८
१८८४
૪૩
२२८४
२६२०
५७३६
२८७६
२६७३
६५४
www.jainelibrary.org.
Loading... Page Navigation 1 ... 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608