Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications

View full book text
Previous | Next

Page 522
________________ ४८८ प्रथम परिशिष्ट ३६६१ ४६५६ जे सूतं प्रवराहा जेसि एसुवदेसो १८३७ ४०८० ४५३२ ४५४२ ३०८४ २१२८ ५००६ ८५१ १९८३ ६०७ . १८१० १६०० इत्थियाए २५४५ उवगरणं . ४२०४ कोवपिंड गाएज्जा ५९८७ गिलारणस्मा ३११४ ६०३७ गिहवतिकुलं १४६५ गिहिमत्ते ४०४२ सुगपिंड ४४६२ जोगपिंड ४४६८ साह-सिहाम्रो १५१४ गातगाई ४६८१ गायगाई ४६७३ लिमित्तपिंड ४४०४ तिगिच्छपिंड ४४३२ तुय ते २१६२ तेगिच्छं ४०५४ दीहाई १६३० दूतिपिंडं ४३६६ ४३७५ पुढविकायं ४०३३ बहमो मासियाइ ६४२० माणपिडं ४४४४ रातीणं २५३६ वएज्जाहि २५२१ वरिणयपिंड वत्थाई ४६८० वत्थादी ४६६० वियर्ड तू ६०४६ सचेलो तू ३७७७ सच्चित्तं ४०३८ सुहुमाई .२१७३ जे मे जाणंति जिणा ३८७३ जे विज्जमंत दोसा ४४६६ जे सुत्तगुणा दुत्ता जो उ उमेहं कुज्जा जो उ रिएसज्जो व गतो जोगमकाउमहाकडे जो गंधो जीवजडो जो गंधो जीवजुए जोगे करणे सरंभमादी जोगे गेलमाम्मिय जो चेव वलियगमो जो चेव य उवधिम्मि जो जतिएण रोगो जो जत्थ प्रचित्तो खलु जो जत्थ होइ कुसलो जो जत्य होइ भग्गो जो जस्म उ उवसमती जो जस्सुवरि तु पभू जो जं काउ समत्यो जो जारिसमो कालो जो जेरण प्रकयपुग्यो जो जे जम्मि ठारम्मि २०१८ ६४०२ ९८६ ३६०० ५४४६ २७७६ धातिपिंड ५४६१ ६६०३ ३८८५ ३३३८ २७५६ ५५६३ ३३४५ ३४०५ २२३६ ५६३७ २८५८ जो जेए पगारेणं जोण्हा-मणी पतीवे जोगी वीए य तहिं जो तस्स सरिसगस्स तु जो तं संबद्ध वा जो तं तु सयं रणेती जोतिसनिमित्तमादी जो तु अमज्जाइल्ले जो तु गुणो दोसकरो जो पुरण अपुवगहरणे जो पुरण उभयावतो ५२५६ ५८७७ ४३३६ २७४६ ५५८४ ३६३६ ५४८४ जो पुरण करणे जड्डो जो पुरण चोइज्जतो जो पुरण तटाणामो जो पुरण तं मत्थं वा ४०८ २६५६ ५८५४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608