Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications

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Page 527
________________ मभाध्य चूगि निनीय मूत्र ४६ ६४७ २०५५ .३७५४ १७३१ ३८१० ५४७० ५६६० ६४९८ ५३७५ ३९०७ ३३२ ११५४ ५०२६ १९०२ ५८३६ २२८६ ४९४१ २६६E २९४० ४७७६ ५५१५ ५१५३ ११९२ २८. ५४१८ २५०३ ४००६ नत्य गिलागो एगो नत्यजगत्य व दिवमं तत्य दमण्ड प्रवाते नत्य पवेसे लहुगा तत्व भवे गणु एवं ६० तत्व भवे ग तु सुने १०३ दत्य भवे मायमोमो तत्व वि घेप्पति जं ३५३५ तत्येव प्रयागामे ६०५ तस्येव गंतुकामा तत्व य गिट्टवरणं तत्येव य निम्मा ३८२ तत्वेव य पडिबंधो तद्दिणमण्णादणं वा तद्दिनमकतारण तु तद्दिवसभोयगादी तद्दिवमं पडिलेहा तप्पडिपक्खे दब्वे तमतिमिरपडलभूयो तम्मि असघीणे जेट्टा तम्मि चेव भवम्गी तम्मि तु असषीणे वा तम्मि य प्रतिगतमेते तम्मि य गिद्धो अण्णं तम्मि वि ग्गिव्याघाते तम्हट्टा जाएज्जा तम्हा मानोएज्जा नजातगतज्जातं तज्जातमतजाता नग-कटु-पुष्फ-फल नगकट्टहारगादी तगण कंबल पावारे तगमहमा पग्गिसेवणं तणगहणे झुसिरेतर तग उगलग-छार मल्लग तरण हगल-छार-मल्लग तण विगण संजयट्टा तग वेस-मुंज कट्ट सण-संचयमादीरणं तणपरणगम्मि वि दोसा तणमादिमालियामो तणमालियादिया उ तण्यमलित्तं मासत्य तष्णग-वार-वरहिण तमिणमखंता केई तण्हाछेदम्मि कते तण्हातिम्रो गिलागणी तततितते घमिरे ततिए पतिट्टियादी ततिए वि होति जयणा ततिमो उ गुरूसगास ततिम्रो जावज्जीवं ततिम्रो पिति-संपण्णो ततिमो लक्खणजुतं ततिम्रो संजम-पट्टी ततियभंगासंथडिनिविततियलताए गवेसी ततियव्ययाइयारे ततियस्स जावजीवं ततियं भावतो भिष्णं ततियाए दो मसुद्धा सतियादेसे भोत्तूरण तत्तस्थामते गंधे तस्थ गतो होज पहू तत्य गहरणं पि दुबिह २२८८ ६०१५ ५६०६ ५१११ १८६६ ५२६५ ५९६४ ५५८१ १२७६ ६३८७ २०४७ ११८३ ३.०६ १२६९ १६७३ ११०७ ५७२० ४०७७ ८४ ४५५१ १७४२ ३१२१ २९३२ २८६७ ३७२७ ४०७५. ४७२१ २८९५ ३४१५ २६५२ ४२५६ ५२६६ ५३०३ तम्हा उ अपरिकम्म ५७६४ तम्हा उ गिहियव्यं तम्हा उ जहिं गहियं तम्हा उ ए गंतव्वं तम्हा खलु प्रबाले तम्हा खलु घेत्तव्यो ५८४८ तम्हा खलु पट्ठवणं तम्हा खलु सम्यामे ८९१ तम्हा मवेसियब्दो ३२३४ ४१४७ ४१८३ १३४० १२४६ २८३६ ६०४४ १३५८ ४७४६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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