Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications
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वभाष्यवि मिश्रीयसूत्र
वारणादी छत्तीसा गागादी परिवुड्ढी
कारणायारे पगतं
गागाविह उपकरण –
गाली ग विरला गाणं
लाज्जोया साहू
गाणे चरणे परूवणं
गाणे दंसण चरणे
"
गाणे सुपरिच्छित्ये गातग कहण पदोसे
रणातगमरणातगं बा
राती
दुविहं रणामरण -घोवरण-वासरण लामंठवण-रिसीहं
गामं ठवणा हत्यो
रणामं ठवरणा कप्पो
णामं ठवरणा भूला
रामं ठवरणा दबिए
01
रामं ठवरणा भिक्खू रामं ठवरणायारो
रणामुदया संघयणं
गालस्सेरण समं सोक्खं
णालीत परूवरणता गाव-यल-लेवहेटा
गावाए उत्तिष्णो गावातारिम चतुरो
गासपण पाइरे
पासा मुहारिणस्सासा
गासे प्रगीयत्यो
ures प्रसंविग्गो
उरणो खलु सुत्तत्थो
"
fuक्कारणगमरणमि रिक्कारणगि चमढर बिकारण डिसेवा
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fuक्कारणमविधीए गिक्कारणम्मि अप्पमा गिक्कारणम्मि एए
fuक्कारणम्म एते
fuक्कारणम्म एवं शिक्कारणम्मि गुरुगा
futकारणम्मि लहुगो fuक्कारणिए भवएसिए रिक्काररियावदेसगा
रिक्कारणे भ्रमरतुष्णे
रिक्कारणे प्रविधि
futer रणे रण कप्पति fueकारणे विधीए बि
fuक्कारणे सकारणे
fuftaar प्रमाणे
रिविवरणा पप्पाणो
रिग्गच्छति वाहती रिग्गच्छ मे हत्थे
रिलग्गत पुरणरवि गैहति
furगमरणं तहचैव उ fuग्गमणादि वहिठिते
णिग्गमणे चउमंगो रिग्गमणे परिसुद्धो
रिग्गमसुद्धमुबाए रिंगवता या
रिग्गंथसक्कतावस
ftrife वत्थगहणे
ग्गिंथीगं गरणधर
furjatti froj
रिगग्गंधी उग्गालो
चिरियं सरणमज्जण
froafniसरिणयं ति य
रिगच्वपरिगले बहिता freefoodfeeम्मे fusefutesकम्मो रिगन्धं पि दव्यकरणं ज्जित मोतूणं
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