Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications
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सभापरिण निशीपसूत्र
जो मागहलो पत्थो
६६२B ५८६१ २४६७ ४८३३
गरणं वा ठायंती ४०६७ ठाणे नियमा स्वं
ठितकप्पम्मि दसविहे ९७३ ठितिकप्पम्मि दसविहे
ठितो जदा खेतबहिं सगारो ३०८८ ठियकप्पे परिसेहो ३९५४
५२६४
५२६. २५९४ ५९३२ २१४६ १९८१ ४३६५
जो मुदा अभिसित्तो जोयसयं तु गंता जो बच्चतम्मि विधी जो वा वि पेल्लिमो तं यो वि दुवस्य तिवत्यो जो कि य प्रवायसंकी जो वि यावाधिम्णो जो विय होतऽक्कतो जो सो उबगरणगणो जो स्टुस्साहारो वो होज्ज उ असमत्यो
३२३८
४२६३
५६७६ ५८०७ ६६६५ ४८०५ ४२३५ ३४५२ १९३६. ६१२३
५६४५ २१०५
उगलग-समरक्ख कुडमुह उगलच्यारे लेवे म्हरगामम्मि मते ग्हरस्स एते दोसा सहरो अकुलीयो ति य
५८६४
७७२
६२१. २७६१
झिरिमरिसुरहिपमरे
डहरो एस तव गुरु ८५१ संग विडए वा
४७०३
१७०६
तिगं तु पुरतिगे डियसोभादीमो
३१४०
४३९०
१६१७ २०६९ १८८५ ६४३१ ६४८८
१५९७
ठवण कुलाइ ठवेलं बलाए रिएक्लेवो ठपणाकुला तु दुविधा ठवरणाकुले व मुंगति ठवणा तू पच्चित्त ठवरणामत मारोवण ठवणारोवणदिवसे ठवणा बीसिग पक्सिग ठवणा संचयरासी ठवणा होति बहल्या ठागासति प्रचियते ठागासति विदूसुब ठाण-रणसीयण-तुमट्टण ठाण विसीयण-तुयट्टण ठाण-णिसीय-सुभट्टण गण-णिसीय-सुपट्टण
उड्ढसर पुष्णमुहो लिंकुण-पिसुगादि सहिं
ग ण करेंति भुजितूरणं ण रिणरत्थयमोवसिया ण तस्स वत्यादिसु कोइ संगो ण पमाणं गणो एत्पं रण पमादो कातम्यो ण य वज्जिया य देहो ण य सम्बो वि पमत्तो रवि किं चि माण्णायं
५०१६ ११३६
६३२६
६४२७ ६४३४
२२३ ६१५०
२६३ ३९३८ ६२६८ १५५ २७४ ५११६ ३०१५ १६९
६२
५२४८
ठाण पडिसेवरगाए ठाण-वसही-पसत्ये गणतियं मोतूण ठाणं गमणागमणं
ण वि कोइ कि चि पुच्छति
ण वि खातियं रण वि वयी २४७०
रण वि छ महव्वता ण वि जाणामो रिणमित्तं
ण वि य इह परियरगा १६०५ एविय समत्यो सम्बो
२३८९ ४०४० ४६०६ ५०६० ६३७८ १७६८
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