Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications
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प्रथम परिणा
११२१
२६२५ १२२ ४८२४ ७१८
. जंव पहाणे जंव सुम्मिसुत्ते जं चोद्दसपुवपरा अंधेदेणेगेणं जंजमि होइ कामे जं जं सुयमत्यो वा जं बारिसयं वत्वं जं जस्स जियं सामारियम्मि जं जस्स वि वत्वं जं जह सुते मरिणयं
जहिता काए
जं होज प्रभोज ९६५ जं होति प्रज्ज
होति अप्पगासं
अंगिय-मंगिय-सराय ७५५ षडा संघट्टो
७५९
४२२६
५२३३
३२७ ४६९३ २३४३
जंण सरति पडिबुद्धो जतं शिम्बापातं
४३०३ ८२. ६२३
३३८२
जंधातारिम कत्यह ६१५ अंबाहीणे प्रोमे ३३१५ जा इतवत्था दमुए
जा एगदेसेरण दहा उ भंडी जा कामाहा सा जा चिट्ठा सा सव्या जा जेण व तेण बधा जा जेण होति वष्णेण जागरह गगरा पिच्चं जागरंतमजीरादी जारिता पम्मीरणं
जाह जेरण हडो सो २९३० जाणंति एसणं वा ५३८२
जाणतेरण वि एवं जाणतो मसुजाणति जागरणामि णाम एतं जारिणति इंति तावन्दणे जाता प्रणाहसाला जा ताव ठवेमि वए य जाति कुल रूव भासा
जंतं तु सकिलिट्ट जंते असंचरंता
तेरण कतेण बचत तम जं पुरण खुहापसमणे
पुण पढमं वत्वं वं पुरण सच्चित्तादी 5 पुग्धकतमुहं वा जं पुम्वं णितियं खलु पुष पडिसिद्ध
४६३५
२४२३ ४३०४ ५३०३ १५६८ ५३०६ १३७१ ४६०४ ३८६१ २५७५
२१५६ ३७९० ५०८५ ५४७७
६८९ .४३५२ ५२४६ ५३६९
बं बहुधा छिज्जतं चंभिक्खू वत्यादि जं माप्रति मिति जं मायति तं बुमति जं लहुसगं तु फरसं जं बन्चंता काए जंवत्वं जंमिकालम्मि जं वत्वं जंमि वेसम्मि छ वा असहीणं तं जंवा मुक्खत्तस्स उ जं वेलं संसज्जति जं सग्गहम्मि कीरह जं सेवितं तु बितिवं
४६१० ६१८ २८५४ २६३६ ४६२३ ९५२ १५१
२५०४ ३६४९ १३५२ २६०६ २७३२ ४२८४ २९२८ ३७०६
११९ २६३१
३८८५ ३८८४ ३५५२
जाति-कुसस्स सरिस जाती कम्मे सिप्पे जाती कहं कुलकह जाती-कुलस्स सरिसं जाती कुलगण कम्मे जाती कुले विमासा जाती य चुंगितो ससु जाती य चुंगितो पुण जा तुपकारण सेवा
३७६३ २७३
४१२ ४६२२ ४५७०
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