Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications
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समाध्यणि निसीयसूत्र
४८५
५३४५
अदि दोसा भवतेते जदि सब्वं उद्दिसिङ जब मातरो से दीसह जम्मण-णिक्खमणेसु य अम्हा तु हत्यमत्तेहि जम्हा घरेति सेज्वं जम्हा पढमे मूलं
५१५५
३९४६ ३६७३ ३५७८ ४५७ ३८६३ ६३६२ ३५४८ ३५१६ २९५० २९७१
५८४५
१८७३
६५६७ ६४२३ ६५६८
जयमाणपरिहवेत जरजजरो उ थेरो जर-सास-कास-डाहे जलजाग्रो प्रसंपतिम जल-थल-पहे य रयगा जलदोगमदभारं जलमूए एलमूए जलसंभमे थलादिसु. जल्समलपंकितारण पल्लो तु होति कमढं जवमझ मुरियवंसो जस्स मूलस्स भग्गस्स
३९७२ ५८८१
५९६
४०५६
६४१
बह वह पएसिरिंग २६६६
जह साम मसीकोसी १४४२
जह ते गोट्ठाणे ५७३५ ३२६६ जह पढमपाउसम्मी
जह पारमो तह गरणी ११४२ ३५२४ बह बालो जपतो ५१३१ २४८१ ५१७३
जह भरिणतो तह उद्वितो ५१८६
___जह भरिणतो तह चिट्ठइ
जह भरिणय चउत्थस्सा
जह भमर-महयर-गरणा ३६४७ .
जह मण्णे एगमा सयं ५३२८
२४०२ जह मण्णे दसम २६६२ ५८५७ जह मण्णे बहसो ४२६५ ३६२६
ब्रह मोहप्पगडीरणं २४०६
जहऽवंती सुकुमालो
जह सपरिकम्मलंमे १५२२
जह सरणमुवगयारणं ५७४७ ३२७८ जह सा बत्तीसषडा ४८२४ ६६६
जह सुकुसलो वि वेजो ४८३०
जह सो कालासगवेसिउ ४८३१ ९७१ जह सो वंसिपदेसे ४८३२ ६७२
जह हास-खेड्ड प्राकार २१४६
जह हेमो तु कुमारो ४२४५ ५६५५
जहि अप्पतरा दोसा ५२१८ २५७३
जहियं एसपदोसा ३७६६
जहि लहुगा तहि गुरुगा ३८४१ जं अज्जियं चरित ४७४८
जं मज्जियं समीखल्लएहिं
जं एत्य सव्व भम्हे २७५
ज कट्ठकम्मादिसु जं कि चि भवे वत्वं
जं गहितं तं महितं ५२२० २५७५ जं गंधरसोवेतं २११२
जंगारणगारत २०३
जं च बीएसु पंचाहो ५२१७ २५७२ जंच महाकप्पसुयं
जस्स मूलस्स सारातो
२५४३
२५४६
३६७४ ३८६० ३६७० ३६७१ ५१८६ ३५७५ ५१६६ ५५४० ४७३८ २७६३ २७६२ ३०३६ ५१०० ५०६० ४७५५ ११०४ २६४६ -१५८८
जस्सेते संभोगा वह कारणम्मि पुण्णे जह कारणम्मि पुरिसे जह कारणे भगाहारो जह कारणे सलोमं जह चेव अण्णगहणे जह चेव मुट्ठाणे जह चेव पुढविमादी जह चेव य प्रवाणे जह चेव य माहच्चा जह चेव य इत्पीसु जह चेव य कितिकम्मे जह चेव य पुढवीए जह चेव य पुरिसेसू
२११७
२७१५ २७१४ १९४० २४५२ २८३५ ८९७
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