Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications
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समावलि निसीपसून
४३
४२१३
४५३० ३८६२ २५३३
२५१ ५०२ ६५३६
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रामगं बले बलातो हमाणे पंचकिरिवा वेदरणपत्तन्वेने छेवणे भेदले व छेदतिगं मूलतिगं छेवसुतरिणसीहादी वेवादी पारोवण छेदो घग्गुरु महवा छेदो खग्गुरु बल्लहु खेदो मूलं सहा
४.
२६५ ४७८५ ५८६६ ४६६२ ३६३५ ३१०३
४
२९१४
२५२२
२६२१ २२४१ ३४६२ २२१५ २२१७ ५१७२ ५१८५ ६१८४
२५३६
४२९ ५४५३ ६२०७ ३१००
छेयसुयमुत्तमसुयं
१९९८
५४५२
३१५७ २४६३
२०६८.
बलं एक पात बत्तीसगुणसमण्णामएण बदोसायतणे पुण बपश्यपणगरक्सा बपति दोसा जग्मण बमुरिसा मग्म पुरे बामागकए हत्ये सम्मागकरं का बम्मासकरणजड्डे बम्मासा पायरिमो बमासादि वहते सम्मासियपारणए छम्मासे प्रपूरतो धम्मासे अपूरेता छम्मासे पायरियो सम्मासे उवसंपद बल्सहुगादी चरिम छल्सहुगा य गियते छल्लहुगे ठाति थेरी छवाससयाई नवुत्तराई यहि गिप्पज्जति सोक छहि दिवेसेहि गतेहिं चंदणिरुत्तं सई खंदं विधी विकप्पं चंदिय गहिय गुरुरणं - बंदिय सइंगयारण व छंदो गम्मागम छादेती परतुकुइए छायस्स पिवासस्स व चारो तु अपुजकडो छिण्णमछिण्णा काले छिण्णमचिण्णे दुविहे छिण्णमछिण्णे व धरणे छिण्णं परिकम्मितं खलु छिण्णण पछिण्णण व छिण्णो दिट्ठमदिट्ठो छिहली तु परिणच्छंतो छिदंतमछिदंता कुन्भरण सिंचरण बोलण
२२०५
३०६ ५३३५ ५६१७ ४८३७ ६५४६ ४३५८
३४३७ १०५३
जइ अत्यि पविहारो ६०७७ जइ अंतो वाषातो २४१० जइउमलाभे गहणं
जइ उस्सग्गे रण कुरणइ जइ ताव पलंबा जइ ताव सावताकुल जह देंतजाइया जा
बइ पुरण पायरिएहि ५१५८ जइ पुरण पुरिमं संघ २८५६
जइ भणति लोइयं तू
जइ वि य ता पन्जत्ता ४०८८ जइ सव्वसो प्रभावो
जड्डे खग्गे महिसे
२१. ४९१६ ३६१२ १९७२ ४५५३ २६७० १०३८ ४४४७
२९७६
३५८२ ३४०४
१४०४
२६२३
२०२ ३४७१ १६३७ १६३८ ५६३२
१५५६ १५६०
५७१ १५३६ २०३४ ४५०६ ३७२२ ४०२६ ५६४६ ४५१० ३६१२ ३५१३ ४२१७
२५६१
१६८३ जड्डे महिसे चारी
जड्डो जं वा तं वा जणपुरतो फासुएणं
जण रहिते दुज्जाणे ३०५२ जणलावो परग्गामे
जण सावगारण खिसण ५१७६ जण्णव छिदियव्वं
जति प्रकसिरणस्स गहणं जति प्रगगिणा तु दड्डा
५२६१
४१७६ ४४७१ ७६६ ६४३
३८७३
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