Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications
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४५८
प्रागंतु तदुत्थे व
आगंतु पर जायरा प्रगाढ फरुसमीसग
"1
भागाढ़मणागाढं प्रगाढमरणागाढे
"
"1
गाढं पि य दुविहं
प्रगाढे प्रालिंग
भागाढे अहिगरणे
आगामिदिएणं.
मागारिदितो
मागारेहि सरेहि य
- श्राघातादी ठाणा
प्रचंडाला पढमा
प्रावेलक्कुदे सिय
प्रणयर जा भया
प्राणंद पहि
प्राणो य दोसा
प्राणाए जिगवराणं
आखाए 5 मुक्कघुरा
- प्रारणाए वोच्छेदे
प्राणादिणो य दोसा
प्राणादिया य दोसा
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29
प्रारणादि रसपसंगा प्रारणाभंगे गाणं प्रागदेसे वासेण विरणा
तर परतरे वा
प्राततरमादियारणं शात-पर-मोहुदीरण
प्रातपरे वावती प्रातरोभावरणता
प्रातवेयं च परवयं
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३२७१
१०३७
प्रतीती प्रतिसमुत्थमसज्झाइय कवि मुक्का
भातावरण तह चैव उ
श्रातावरण साहुस्सा प्रतियणे मोत्तूणं प्रादरिसपsिहता
श्रादाणे चलहत्यो
श्रदिग्गहणेणं उग्गमो
प्रादिभयरणारण तिह श्रादीप्रदिभावे
श्रसग्गं पचगुलादि
प्रधाकम्मादी रिणकाए
श्रधावधि दुविध
श्रपुच्छण आवस्सग
श्रपुच्छ कितिकम्मे
प्राच्छित उग्गाहित
प्रापुच्छिय श्रारक्खिय
आभरणपिए जारणसु
अभिगति क अभिगहिस्सासति भोत्ता वि
भोगिगीय पसिणेरण
ग्रामज्जा पमज्जरणा
आमफलाइ न कप्पंति
आमंति प्रब्भुवगए
ग्रामे घडे निहितं
आयपरउभयदोसा
प्रायपर- पडिवनम्मं
"
श्रायपर-मोहुदीरणा मायपरोभदोसो
आयरिया अभिसेभो
प्राय
अभिसे
प्राय अभिसे
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प्रथम परिशिष्ट,
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