Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications
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प्रथम परिक्षित
एक्केक्कम्मि य ठाणे
२४५४
३५८२
एक्केक्कं तं दुविहं
५१०२ ५२०५
५०४ १८९८
एगं ठवे रिणव्विसए एग व दोव तिमिण व एगं संचिक्खार एगंगि उणियं खलु एगंगितो उ दुविधो एगंगिय चल थिर एगंगियस्स असती एगंतरिणज्जरा से
एक्केक्का उ पदाप्रो एक्केक्का ते तिविहा एक्केक्का सा तिविधा
४९०७ २५६६
१२०२ २०७५ ६२४४
८२६ १२२० ४२३२ १२७४ ३६५२ ३९६३ ६३३० ३८२५
५२१३ ७११
५६४२
२६१७ ६१५७
३०७६
एक्केक्का सा दुविहा एक्केक्को तिणिण वारा एक्केक्को वि यतिविघो एक्केको सो दुविहो एक्कोसहेरणं छिज्जंति एगवखेत्तरिणवासी एगचरिं मन्नता एगट्टा संभोगो
३१३८
५६६७ ६५०६ १०२२ ५४३ ५६४०
एगंतररिणविगती एगंतरियं रिणव्विबिल्स एगाणियस्स सुवणे एगापण्णं व सतावीसं एगा मूलगुणेहि एगावराहहंडे एगासति लंभे वा एगाह परणग पक्से
५७२६ २०६३
१२६६ २७३८
१००८ ५००३ ३५२६ ६५६६ ३५१८ ३५१७ ३५४९
एगिदियमादीसु तु
एगिदि-विगल-पंचिदिएहिं ४०१४ एगुरणवीस जहणणे ३५६६ एगुत्तरिया घडछक्कएणं ५३०९ एगणतीस दिवसे
एगूणतीस वीसा ३८४७
एगे भपरिणए या
२४०७ ५००७ १४५६ २३७७ ११८५ ४११० २६२१
६१४ ३१८० ६३२३ ५२८२ ५१४० ६४२९ ५११२ ४०३६ ४०७६ ४०८५
एगतरझामिए उवस्सयम्मि एगतररिगग्गतो वा एगत्ते जो तु गमो एगत्थ वसंतारणं एगत्य रंधरणे भुजणे य एगत्य होति मत्तं एग दुग तिषिण मासा एगपुड सगल कसिणं एगवतिल्लं भंडि एगमणेगा दिवसेसु होति एगमणेगे छेदो एगमरणं तु लोए एगम्मिप्रणेगदाणे एगम्मि दोसु तीसु व एगस्स प्ररणेगारण व एगस्स पुरेकम्म एगस्स वितियगहणे एगस्स मागजुत्तं एग उडुबम्मि एगं च दोव तिमिण व
५४३७
५४६४ ५५३६ ५५४५ ३८४१
२४६०
२२७१
एगे अपरिणते या एगे उ कज्जहाणी एगे गिलारणपाहुड एगे तु पुश्वभरि एगेण कयमकज्ज एगेण तोसिततरो एगेरण समारो
१२८
१९३६ १८४२
४५७६ ४७८७ ६०८१ ४०५६ ४.८६ ७४३
१८४३
२१६६ ३८३१ ३८३८
एगणं बंधेणं एगेरोगो बिज्जति
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