Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications

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Page 506
________________ ४७२ प्रथम परिशिष्ट ४२३ मोवासादिसु सेहो मोवासे संथारे एसेव य विवरीमो एसो उ प्रसज्झामो एसो उ प्रामविही एसो वि ताव दमयउ एहि भरिणतो त्ति वच्चति ४०० १०१५ १०१७ २७८३ ६२११ २७०४ ७७४ २४६४ २११६ ४२९७ ३८६ १०८ ३११२ ६७२६ ५४८६ अोकच्छिय-वेकच्छिय प्रोगास संथारो प्रोगाहणग्ग सासतणगा" मोदइयादीयारणं मोदरण-गोरसभादी प्रोदण मीसे रिणम्मीसूवक्वडे प्रोदरिए पत्थयणा प्रोधोवधी जिणाणं मोबद्धपीढफलयं मोभामिमो मि . मोभावणा पवयणे मोभासणा य पुच्या प्रोभासिय डिसिद्धो प्रोमम्मि तोसलीए मोमं ति-भागमद्ध प्रोमंथ पाणमादी प्रोमारणस्स व दोसा प्रोमादिकारणेहि व मोमे एसण सोही ओमे तिभागमद्ध ३१४१ २४६३ ४६३८ ५६६७ १३८१ ५७६८ १५६४ १०८५ ५८६४ ४४४८ ४६२३ २६६१ ५८६५ १६८४ ५५९६ ५७०६ ४२६ ३९९५ प्रोसवकरण प्रहिसक्कम मोस? उज्झिय-धम्मिए प्रोसवणं अधिकरणे प्रोसणामलक्खरणसंजुयानी प्रोसण्णाऽपरिभोगा प्रोसण्णे दृढ णं प्रोसपणो वि विहारे मोह अभिग्गह दारणं पोहरिणसीहं पुग मोहाणं ता अज्जो मोहारणाभिमहीणं मोहातिय-कालगते मोहादीया भोगिरिग पोहारमगरादीया मोहावंता दुविहा ग्रोहावित-उस्सणे पोहावित प्रोसम्णे ओहावित-कालगते मोहिमगा अउज्जिय मोहीमाती णातुं मोहे उवग्गहम्मिय ओहे एगदिवसिया ओहे वत्त अवत्ते अोहे सवगिसेहो अोहेण सट्टारणं पोहेग विभागेग य. ५४६० २०७० ६६६७ ३६७८ १७०४ २७५१ २५७२ ४२२३ ४५७८ ५५६२ २७५५ ५५८६ ३५६० २५८३ १३८७ ६३१५ ५५२८ ५२०२ ६६८१ २०१७ १०६० ५४८६ ३७०८ ५४१६ ३११८ १७६ ४३६३ ५७०७ ३११६ ४७६७ ९३८ १०६७ मोमे वि गम्ममाणे प्रोमे संगमथेरा प्रोमोयरियागमणे प्रोमोयरिया म जहिं प्रोयन्भूतो खेतं पोरोहपरिसणाए प्रोलग्गगमरसुवयणं पोलंबिऊण समपाइतं पालोगम्मि चिलिमिली मोवटिया पदीसं ४६३० ४१२७ ३१२० ६६७ कक्खतरुक्खवेगच्छिताइसु कच्छादी ठाणा खलु कजकारणसंबंधो कजमकज जताऽजत कज्जविवत्ति दट्टण कजं गाणादीयं ४६१८ ५७०८ १४५६ ३८०४ ६१६२ ४३८५ ६६५४ ७५४ ५२४६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.

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