Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications

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Page 504
________________ प्रथम परिविष्ट ५०५० ३२४८ ४७४३ ८८५ १९४७ २८०२ ५२७० एयारिण सोहयतो एयारिसम्मि वासो एयारिसे विहारे एरवति कुणालाए एरवति जत्य चक्किय एरवति जम्मि चक्किय एरिसमो उवभोगो एरिसयं वा दुक्खं एरिससेवी एयारिसा एवइयं मे जम्म एंवमपि तस्स रिणययं एवमसंखडे वी एवमुवस्सय पुरिमे एवं अड्डोक्कंती एवं प्रसाणादिसु एवं अलब्भमाणे एवं प्रवायदंसी एवं प्रामं ए कप्पति एवं पालोएति एवं उग्गमदोसा एवं उभयविरोधे एवं एस्केका तिगं एवं एक्केक्कदिणं १२३२ ३०४६ ५०५७ ४१४८ १२८६ ३१११ १५३ ३३५८ ५२०६ ४६१८ २५५६ ५८३२ ४७२८ ४६७३ ४९६४ ५३५५ ३३८१ ४२२६ ४२४३ ४२२८ ५१०५ ४४३५ ३५८७ १०३६ २६५८ ११० २६७३ ३५२६ ४८७६ १२३७ ४१५४ ४८९७ ३८७४ ४१५५ ११२५ ५२२२ २८०५ २८२५ ६०५२ ६४५७ ६४४६ ४६३१ ३८८६ ६४६२ १४४४ ६४६३ ५५६४ २६८६ १६३६ ५२६० ५७६७ १६१७ एवं जायगावत्थं एवं रणामं कप्पती एवं ता असहाए २७८२ एवं ता उबद्ध ५६३६ एवं ता गिहवामे ५६५३ ५६३८ एवं ता गेण्हते एवं ता जिगकप्पे २४५७ एव ता हरणं एवं ता पच्छित्तं एवं ता सचित्ते एवं ता सव्वादिसु एवं ता सविगारे एवं ताव अभिरे एवं ताव दिवसयो एवं तावऽदुगुछ एवं ताव विहारे एवंतियाल गहरणे एवं तु अगीयन्थे एवं तु अगसंभोइएम एवं तु अलन्भंते एवं तु असढभावो एवं तु ग्रहाछंदे २५६६ एवं तु केइ पुरिमा एवं तु गविट्ट सु एवं तु दिया गहणं एवं तु पयतमाणस्स एवं तु पाउसम्मी १०६८ एवं तु भु जमाणं एवं तुमपि चोदग एवं तु समासेण एव तु सो अवहितो एवं तेसि ठिताणं एवं दधतो छह एवं दिवसे दिवसे १८६१ एवं पराप्परस्सा १५६१ एवं पापोवगम ३३६६ एवं पाउसकाले एवं पादोवगम एवं पि पठायते ६४५ २८०१ १६५६ ५०१७ १८६४ ३५०१ ६५७६ ५०४६ १९८० ५६१० ५१५६ ६४८ २६८४ ३१२८ ५७७८ ६४१४ ६४६५ २७०७ एवं एत्ता गमिया एवं एत्ता गमिया एवं एया गमिया एवं एसा जयणा एवं खलु उक्कोसा एवं खलु गमिताणं एवं खलु जिरणकप्पे एवं खलु ठवरणामो एवं खलु संविग्गे एवं गिलाणलक्खेरण एवं च पुगो ठविते एवं च भरिगतमेतम्मि एवं चिय पिसिते. एवं चेव पमारणं ५०८१ १०७४ ६१४ ४७३ २८०० ४३८ ३६२२ २२६५ ३६७५ ५५८१ . ५४८१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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