Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications

View full book text
Previous | Next

Page 508
________________ ४७४ करिणे चतुव्विधम्मी कसिरगा कसिरा एता कस्स घरं पुच्छि कस्सति पुच्छियम्मी कस्स त्ति पुरेकम्म कस्सेते तरणफलगा कस्सेयंति य पुच्छा कस्सेयं पत्ति कहिता खलु आगारा कहितो तेसि धम्मो कंचपुर इह सा कंजियप्रायामासति कंजिय चाउलउदए कंटगमादी दब्बे कंटगमादीसु जहा isट्ठि खाणु विज्जल कंटऽट्ठि मच्छि विच्छुग कंट्ठमातिएहि कंटाइ-साहएट्ठा कंटादी पेहंतो कंटाऽहिसीत रक्खता कंडादि लोन रिसिररण कंडूस-बं कंतार - रिग्गताणं कंदप्पा-परवत्थं कंदादि प्रभु जंते काइयभूमी संथारए य काउस्सग्गमका काउं सयं गा कप्पति काऊरण प्रकाऊरण व कारण मासकष्पं 17 "" कारण व वायाए कावचिनो बलवं काकरिणवारणे लहुश्रो कारणंच्छि रोमहरिसो कारणच्छिमाइएहि कातूरण य परणामं Jain Education International ६७२ ६४६६ ૪૪૪૨ ५०२४ ४०६४ १२६० १७८८ ४७६५ २३४१ ५७५३ ३८४६ २०० ३०५६ ६२६३ १८८३ ४७३६ ४१७ ४७४१ २६५३ २६ ६३१ १८०७ २१७५ २५२८ ३१८ ५६६८ ३१५६ १५६६ ८३६ २८५६ २०३८ ३१४५ ३१५६ २२५८ ३६१० ३८४ २३३६ ५१४५ ५५२६ १८२१ २०३८ कामं खलु ग्रलसद्दो कामं खलु चेत कामं खलु धम्मकहा कामं खलु परकरणे कामं खलु पुरसद्दो कामं खलु सव्वष्ण कामं जिपच्चक्खो कामं विध ६३६ ३२८४ १६५८ ५५६६ ८८१ ८८३ ३८५८ ३८६३ ३११३ ५५८६ १६८७ ४२ : ६ कामं प्राउयवज्जा कामं उदुविवरीता कामं कम्मणिमित्त कामं कम्मं पि सो कप्पो कामं खलु श्ररतुगुरुणो २४६५ कामं तु सव्वकालं कामं देहावयवा कामं पमादमूलो कामं पातधिकारो कामं ममेतं कज्जं कामं विभूसा खलु लोभ-दोसो कामं विसमा वत्थू कामं सत्तविकप्पं कामं सभावसिद्धं कामं सव्वप कामं सुप्रोवोगो कामी सघरंगरग कामी सघरंऽगरणतो कयकरणा इतरे या कायल्ली का कायं परिच्चयंतो + कायारण वि उवओोगो काया वया य तच्चिय कायी सुहवीसा काहविसुद्ध पहा कारण तु विहिरणा कारण एग मडंबे कारण सग्गामे कारणगहणे जयरा कारणगउिन्वरयं For Private & Personal Use Only प्रथम परिशिष्ट ३३२३ २०५८ ५१५ ५६६० ४८५६ ३५.०४ ૫૨૭૪ ૪૪ १६२३ ४०६२ ४८२२ ५-४३४ ६६७४ ३१७७ ६१७२ ६६६० ४५२२ ૬૪ & 1s{s ६४०४ ३३१५ ३१ ३६४ ६०६७ ४६८७ ४६६५ ६६४६ २८५ ४७६१ ३६५ ३३०८ १६७१ १४७६ ५८१५ २४१० ६०४२ ६०५३ ३३६६ ३१०० ६६६ १८१६ ६६३ ३६६५ ४६४४ ६३१ ૪૭૨ ३६६२ २८५१ www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608