Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications
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सराव परिणनितीव सूर
४६७
एगे तू वन्यते
५४८६
२३६१
५९२५ ५९८९ ४२०
११८२
एगे महारणसम्मी एगेसि जं भरिणवं 'एगो इत्यिगमो एगो गिलारणपाहु एगो रिणदिसतेगं एगो व होज्न गयो एगो संघाडो वा एगो संथारगतो एतरणंतरागाडे एतद्दोसविमुक्क
एतेण मज्झ भावो एतेरण उवातेरणं एते तु.दवाति एते पदे ण रक्खति एतेसामण्णतरं
५४५६ ६३३६ ४५६४ १६५७ ३०३० ३८४०
४६३ १६४२
१३३० ६२३ ६३३ ६४१
१०७३ १५०२ १५४. १५८६
एतविहिमागतं तू एतं खलु माइगणं एतं चिय पच्छित एतं तं चैव परं एतं तु परिग्गहितं एतं सदेसाभिहां एताई सोहितो एतारिण वितरति एतारिसंमि देतो एतारिसाम्म वासो एतारिमं विउसज्ज
६३४१ ५४६३
८१८ १६०२ १४६६ १८९९ १४८७ १९३८ २५८४
४६६ ५२३२ ५४६५. ६३३८ ५५४६
२१५७ २१८३ २२२४ २४६५ २५१४ २६८३ २७१. ३७४. ४४९९ ४६७० ५६५६ ६२५६ ६०८
४३८
.
एतारिसं विप्रोसज्ज एतारिसे विप्रोसेज एतासि मसतीए एतविहिमागतं तू एते भण्णे य तहिं
१७७५
एतेसामगतरे
३८२६
६१७० ७७१
५०३०
एतेसामरगयरं
७२७
एते उ प्रवेप्पसे एतेथिय पच्छिता एते पेव गिहीणं. एते चेव दुवासस एते व य दोसा
३३८
८७३ ८८४ ८८६ १२२१ ५६२६
४२५० ५६२२
एतेसिं असमादी
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