Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications
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सभाष्य चरिणनिशीथ सूत्र
४६१
६६२६ ३५६३
६५७
१६१३
४६ १६८७
८४० २४८५ २१०५ ४४४६ १४३५ ३२१५ ११८१ १३८० ४८६३ ४८०६ ५३०६ १६८९ २०१५ २४६६
३११२ ६१७८ ४१४० २८४४ ६०३२ ५२६८ ६०५० ३३११ ५२६३ ५०६७ ५६६६
३४०१
इस्सरसरिसो उ गुरू
इस्सालुए वि वेदुक्कडयार ३७११ इह परलोए य फलं
इहलोइयाण परसोइयाग इहलोए फलमे इह लोगादी ठारणा इह वि गिही अविसहरणा इहाह दितान कप्पा इहरह वि ताव अम्हं इहरह वि ताव गंधो इहरह वि ताव लोए इहरा कहासु सुरिणमो इहरा परिवरिणया इहरा वि मरति एसो इंगाल-खार-डाहो इंदमहादीएसु इंदमहादीसु समागएसु
इंदियपडिसंचारो ५१५६ इंदियमाउत्तारणं ६४० इंदिय सलिंग गाते
इंदियारिण कसाये य इंदेण बंभवरमा इंधरणधूमे गधे
३४२३ २८१२
२४८०
इच्छामि कारणेणं इट्टग-छगम्मि परिपिंडताण
ट्ठ-कलत्त-विभोगे इतरह वि ताव गरुयं इतरेसिं गहरणम्मी इतरेसु होति लहुगा इतरोवि य पंतावे इतरिमो पुरण उवधी इत्तरियं पि माहारं इति एस प्रणुण्णवरगा इति चोदगदितं इति दप्पतोमरणाइण्णं इति दोसा उ प्रगीते इति सउदगा तु एसा इति संदसण-संभासणे. इत्यि-परियार-सद्दे इत्थि पहुच्च सुतं इत्यिकह भत्तकहं इत्यिकहामो कहेति . इत्थी जूयं मञ्च
इत्थी गपुसको वा इत्थी पुरिस नपुंसग इस्थोणं मज्झम्मी इत्यीणातिसुहीणं इत्यीमादी ठारणा इत्यी सागारिए इत्थीहि णाल-चढाहि इधरध वि ताव सद्दे इधरह वि ताव गस्यं इम इति पन्चक्खम्मी इय सत्तरी जहष्णा इय विरिणमो उ भयवं इयरह वि तारण कप्पति इरिएस-मासाणं इरियं ण सोयिस्सं इरियावहिया हत्यंतरें इरियासमिति भासेसरणा इस्सरनिस्संतो वा
२७४५
३८७८ ६१४६
३५८३ ४७६९ १९१४ ५०३८ २४३० २४३३
३८५८
१८५८
८०५ ४७१० ५३६१
८४१
इंधणसाला गुरुगा
२५५२
ईसर-तलवर-मारंविएहि ईसर भोइयमादी ईसरियत्ता रज्जा इस प्रयोणता वा इस भूमिमपत्तं
२५०२ २५०३ ५१६०
१७६४ १७७२
८२८ २५८६ ३१५४ १७८० ५०९२
६३८६ ६३८७ २५१०
४२८५
३४७८ .
४८८ ६१४१
उउबढपीढफलगं उक्कोसमो जिणाणं उस्कोसगा तु दुविहा उस्कोसतिसामासे
४३४८ १४१०
८.
१८४२
५८३०
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