Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications

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Page 489
________________ सभाष्य रिण निशीथ सूत्र ४५५ प्रसिवे प्रोमोयाि ४०५७ ४०५७ ३२६६ ३३४२ ३३५५ ३४८७ ३४६१ २००२ १०१६ ५८८२ ५९५३ ५६५७ ५९६२ ५६६७ ५६७६ ६०२६ ६०७२ ७३४ १९१२ ६२३६ ४०५६ ४७४५ . ८८७ ४२८७ ३२५७ १४०० ४३६० २२७५ ४११८ ४२०७ असिवोम-दुटु-रोषग ४२८१ असिवोमाईकाले ४३०५ प्रसिवोमायणेसु ४३१७ , असिकंटकविसमादिसु ४३६५ अस्संजतमतरते ४४०३ अस्संजमजोगाणं ४४०६ अस्संजय-लिंगीहिं तु ४४१७ अस्संजयाय भिक्खू ४४३१ ग्रह अस्थिपदवियागे ४४३८ अह उगहणंतग ४४४३ मह जारिसनो देसो ४४५४ ग्रह जे य धोयमइले '४६७ प्रह-तिरिय-उड्ढलोगा । ४४८५ ४०५७ ग्रह दूरं गंतव्वं ४६१३ अह पुरण गिगवाघायं ४६३१ मह मागणसिगी गरहा ४६५४ अह वायगोति भण्णति ४६५८ ४०५७ अह सउदगा उ सेज्जा ४६७१ अह सिक्कयंतयं पुरंग ४६८३ ४०५७ अह मो विवायपुत्तो ४६८८ अहगं मिविस्सामी ४८ .१०१६ अहभावदरिमम्मि वि ४९७८ अहभावमागतेणं ४६६६ अहमेगकुलं गच्छं ५४१६ अहयं च सावराही अहव अभं जत्तो ०६. अहव जति अत्थि बेरा ४४१ ६१२१ २७२५ . ४७३७ २६३० ५२२८ ६४५ ३६६६ २२५३ ४०३२ २७४४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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