Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications
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४५४ .
प्रथम परिशिष्ट
५४८०
असणादि दबमाणे मसणादी वाऽहारे प्रसरणादी वाहारे मसणे पाणे वत्थे असति गिहि गालियाए
प्रसति तिगे पुग असति बमधीए वीस
१६१२ २३४७
असिवादीकाररिगतो २५५८
प्रसिवादी सुकत्याणि एम ११५३
अभिवादोहि गया पुरण : १९८
मसिवे अगम्ममाणे ४२५३ ५६६२ प्रसि के प्रोमोदरिए ५८७८ ४०५३
१६१८ ११५० ३५३१ प्रसिवे प्रोमोपरिए १९८३
२८२१ ४६०८
१६२१ ३७३ ३४५३ १६४ ४६७६ १३७२ . .४६३६
४८१२ ५५४१
५४४२ ५६५६ ३४२ ४५८ १४५४ ७२६४०५७ ७४७
७७०
८१२
प्रसति विहि-णिग्गता प्रति समणारण चोदग' असती प्रधाकडारण असती एव दवम्स तु प्रमती गच्छविमजरण
असती ते गम्ममारणे - ग्रंपती य परिरयस्त
मपती य भद्दमो पुरण प्रपती य भेसणं वा प्रमती यःमतगस्पा प्रसती य लिंगकरणं
८१४
९८४
१००७ १०२१ . १०१९
१९९१ ५.२२ ५६२७
२३७६ ३५६५
१४०१ १४६० १८४७ १८५३ २००७ २०१२ २.२४
१९८४
५३८४
२०४४
असतीय संजयारण असती विनियमाणो असताण-खोम-रज्जू . प्रसघोणे परि पसमाही ठाणा खतु पसरीरतेमंगे प्रमहाप्रो परिसिल्लत्तणं असंघर प्रजोग्गावा यसंपत्ति प्रहालंदे प्रसिद्धी जति गाएवं असिवहितं ति काउ ममिवगहिता तणादी असिवाइकारणेहि असिवातिकारणे असिवादिकारण गता असिवादिकारणगतो असिवादिकारणेहि
५४७६ ३८५१. ५३२९
२४०३
४८६७
३४४
२०६१ २६६. २६८४ २६६७ २६६८ ३१०४
४२८३
३४३ ३१५२ ५०३२ १२२५ २४११ ३८४७
२७४१
३१२६
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