Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications
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४५२
प्रथम परिशिष्ट
३२६७
३६६५
५२१८ ५३७२
१३४२ १०५६ १५४८ ५८०१ २०४६ ३३६२ ५४४० २७२३
२७०५ २३१६ ६३८१ ४६६३ ५१६१ ५.६६ ५०३१
२५४५ ५३७१
अप्पा मूलगुणेम अपाति पुराणातिनाग प्रप्पिगह तं बइल प्रत्युवमतिहिकरणे प्रद-विनित-बहुस्मता अप्पे मंत्तम्मिय प्रप्पोलं मिउपह अपकामरण देसे प्रवलकरं चक्खुतं मम्म्म ए अगोयत्थे प्रहम्मता यऽमदा ग्रबहुम्पने च पुरिसे पान वुडदाणे सम्भववारण रिणस्संकया पारहियम्स हरणे प्रभ-हिरवास-महिगा प्रभगय संवाहिय.. अभंतामललितो अम्भनरं च बाहिं प्रजापत्थं गनूग्ण प्रभासे व वर्मा प्रभुजत ग्रोहाणे मानुजनमेगतरं अभुट्टणे मारण
९८२ ५०१२
६१२
४६१० ५४८५ ३.८६ २६१४ ४३८५
पभिभूतो पुण भतितो अभिभूतो सम्मुग्झति
अभि नावसुद्ध पुच्छा ५६८ अभिहारेत वयतो २७५३ प्रमणुण्णाणबहारं
ग्रमणाधरणरासी ३१७८ प्रमिला अभिगवधिण्णं ५८५
प्रमिलादी उभयसुहा प्रमुगत्यऽमुमो वच्चति प्रमुगं कालमणागते प्रमुग च एपिसं वा प्रमुगायरियसरिच्छाई प्रमुगिच्चयं ण भुजे प्रमुगो अमुगं कालं मम्मा पितमादी उ प्रम्मापियरो कस्सति प्रम्मे ण वि जाणामो अम्मट्ठ समार ग्राह निकरेति परती
अम्हे खमणा ण गणी ___ अम्हेदाणी विसे हिमो
प्रम्हे मो प्रकतमुहा
प्रम्हे मो पाएमा १९३३ प्रम्हे मो मादेमा
प्रम्हे मो कुलहीणा प्रम्हे मो जातिहीगा पम्हे मो लिजष्ट्री अम्हे मो षणहीणा अम्हे भो रूबहीणा प्रम्हे वि एतधम्मा प्रम्हेहि तहिं गएहि प्रय-एलि-गावि-मडिसी मयते पाफोडते प्रयमण्णो उ विगप्पो प्रयमपरो उ विगप्पो
प्रयम पाया खलु १०४५ प्रयमा मागग खलु ५३८१ प्रयमादी प्रागरा बलु
१०७० ३७३२ ४२८० ४०८ २४४२ २६१६
१८४६
४६२५
. ८६३ १७५८ ५५६५ २४१५ ३०३२
१८६०
प्रभुट्ठणे गुरुगा प्रम्भुवगना य लोगो अम्भुगियगयवेरा प्रभगिणतो कोइ रग इच्छति अनयागी पेहेतु अभियोग्गविसकए वा प्रतियोगे कमिलजो . अभिगह मंभोगो पुगण प्रभाणवपुगणगहितं
३०३३ २४२५ ३२०१ २६८१ ४६२७
५१४ २६११ २६१० २६८८ २६.५ २६१२ ६६६६
६८७ ४००३
१८८६
५६९३ २१.८
५६२४
२२०० ३८०
भिगोमिट्ठामति प्रभिगो महश्वयपुच्छा अभिवारते पामत्यमादियो
४६१६ ४१९९ ४६०८
५६१२
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