Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 04 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications
View full book text ________________
श्र
मइया रिगज्जारणं
यारो विहु चरणे
प्रइरहम्स धार पार
श्रइरेगोवधिगहणं
हम इम्पिकहि उगामीतं ठेवणारा सतं
प्रकयकराय गीया
प्रयकररणा वि दुविहा करंडमम्मि भारणे
सिमट्ठा रसगं अकसिसगलग्गहणे
अक्कंतितो य तेरो
प्रक्५ ठ
चालिते वा
अक्खर लभेरा समा
अक्खर वंजरसुद्ध
प्रवारणं चंदरणस्य वा
अथातिगा उ अक्खारगारिण
प्रक्वादी ट्ठाला खलु
अक्खा संथारो य
१
प्रथमं परिशिष्टम्
निशीथ - भाष्यगाथानामकारादिवर्णक्रमेणानुक्रमणिका 'बृहत्कल्प भाष्यस्य समानगाथानामङ्कनिर्देशश्च ।
क्खी बाहू फुररगादि खुपसू
गडे भातुए तिल
गरि गिलाच्चारे
अगरण व रिंग ब्रूया दोसह संजोग अगमकरणादपरं
मेह कमगार
अगुतिय बंभचेरे श्रगघातो हुऐ मूलं
नि.भा.गा. बृ.भा.गा.
१२८
५. ४३१
६७०३
२८४
३३
=
६६५८
६६५०
५८८५
६४२
૨૪૦
Jain Education International
३६५०
२७८६
४८२५
५४ : ८
३१२६
२१५०
४१४३
२६२०
५१२
५२११
२३०१
१४१६ ४०६६
४२६६
३२८२
११४१
१४४०
४०६०
३८७३
५३२
६५३१
२७१०
५३७३
४६०६
२७३७
५२६५
३५२२
२५६७
रिसि
मगहणं जे प्रगहणे कप्पस्स उ
श्रग्गहणे वारतग श्रग्गिकुमारुववातो
अग्गीतस्स ए कम्पति
श्रीसु विगि
भगीया खलु साहू
श्रचित्तमसंबद्ध
प्रचियत्त कुलप से
प्रचियत्तमंतरायं
अच्चावेद्रण मरताय
प्रच्चित्तमोत तं
पुग्ण अच्चित्ता एस णिज्जा र प्रच्चित्ते वि विडसरा अच्चीकरण र
सिर चिक्कणे वा प्रच्छंतारण विगुरुगा
श्रच्छंतु ताव समा प्रज्जियि तिविह
ग्रच्छेज्जऽसिद्वा
अच्छे ससित्य वव्विय
प्रजनरण कारिस्सेवं
अजरायु तिणि पोरिमि
प्रजिरण सलोमं जतिरपं
प्रजिलादी वत्था खलु
अज्ज प्रतियानि गीति व
सुहत्थाऽऽगमरणं
प्रज्ज सुत्थि ममत्ते
१ ग्रागम प्रभाकर श्री पुण्यविजय जी द्वारा सम्पादित ।
For Private & Personal Use Only
नि.भा.गा. नृ.भा.गा.
११५६
५६८३
५८८८
२७४३
५.२५१
५३७४
१६६४
५२५३
५३७६
६१८
२८३४
४५०७
३६८१
६०१
६२७६
૪:૪૪
१५६६
४०६५
२५७६
२०२७
४५००
४५२३
२६६०
४४८
६१०७
३६६६
५६१६
१२६
५७४६
५७५१
३५३७
३०६२
૪૦૬૪
३२७४
३३३२
५५६७
६८४
१८२५
१६७६
५८५५
३२७७
३२=२
www.jainelibrary.org
Loading... Page Navigation 1 ... 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608