Book Title: Agam 09 Ang 09 Anuttaropapatik Sutra Stahanakvasi Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana Publisher: Agam Prakashan SamitiPage 47
________________ दोच्चो वग्गो १-१३ अध्ययन उत्क्षेप __जइ णं भंते ! समणेणं जाव' संपत्तेणं अणुत्तरोववाइयदसाणं पढमस्स वग्गस्स अयमढे पण्णत्ते, दोच्चस्स णं भंते ! वग्गस्स अणुत्तरोववाइयदसाणं समजेणं जाव' संपत्तेणं के अटे पण्णत्ते ? एवं खलु जम्बू ! समणेणं जाव संपत्तेणं अणुत्तरोववाइयदसाणं दोच्चस्स वग्गस्स तेरस अज्झयणा पण्णत्ता। तं जहा दीहसेणं महासेणं लट्ठदंते य गूढदंते य सुद्धदंते य। हल्ले दुमे दुमसेणे महादुमसेणे य आहिए ॥ सीहे य सीहसेणे य महासीहसेणे य आहिए। पुण्णसेणे य बोधव्वे तेरसमे होइ अज्झयणे ॥ "जइ णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं अणुत्तरोववाइयदसाणं दोच्चस्स वग्गस्स तेरस अज्झयणा पण्णत्ता, दोच्चस्स णं भंते ! वग्गस्स पढमस्स अज्झयणस्स समणेणं जाव' संपत्तेणं के अटे पण्णत्ते ?" दीर्घसेन आदि एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे, गुणसिलए चेइए।सेणिए राया।धारिणी देवी। सीहो सुमिणे। जहा जाली तहा जम्मं, बालत्तणं, कलाओ। नवरं दीहसेणे कुमारे। सच्चेव वत्तव्वया जहा जालिस्स जाव अंतं काहिए। एवं तेरस वि रायगिहे। सेणिओ पिया। धारिणी माया। तेरसण्हं वि सोलस वासा परियाओ। आणुपुव्वीए विजए दोण्णि, वेजयंते दोण्णि, जयंते दोण्णि, अपराजिए दोण्णि, सेसा महादुमसेणमाई पंच सव्वट्ठसिद्धे। एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव' अणुत्तरोववाइयदसाणं दोच्चस्स वग्गस्स अयमढे पण्णत्ते। मासियाए संलेहणाए दोसु वि वग्गेसु त्ति। जम्बू स्वामी ने प्रश्न किया— भन्ते ! यदि श्रमण यावत् निर्वाणसंप्राप्त भगवान् महावीर ने अनुत्तरौपपातिकदशा के प्रथम वर्ग का यह अर्थ कहा है, तो भन्ते ! अनुत्तरौपपातिकदशा के द्वितीय वर्ग का श्रमण यावत् निर्वाणसंप्राप्त भगवान् महावीर ने क्या अर्थ कहा है ? सुधर्मा स्वामी उत्तर देते हैं — जम्बू ! श्रमण यावत् निर्वाणसंप्राप्त भगवान् महावीर ने अनुत्तरौपपातिकदशा के १-५. देखिए वर्ग १, सूत्र १. ६. सव्वेव – एम.सी. मोदी ७. देखिए वर्ग १, सूत्र १.Page Navigation
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