Book Title: Agam 09 Ang 09 Anuttaropapatik Sutra Stahanakvasi Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana Publisher: Agam Prakashan SamitiPage 99
________________ अनुत्तरौपपातिकदशा जमाली वैशाली के क्षत्रियकुण्ड का एक राजकुमार था। एक बार भगवान् क्षत्रियकुण्ड ग्राम में पधारे। जमाली भी उपदेश सुनने को आया। अपनी आठ पत्नियों का त्याग करके उसने पांच-सौ क्षत्रिय कुमारों के साथ भगवान् के पास दीक्षा ली। जमाली ने भगवान् के सिद्धान्त के विरुद्ध प्ररूपणा की थी। अतएव वह निह्नव कहलाया। -भगवती, शतक ९, उद्देश ३३ थावच्चापुत्र द्वारका नगरी की समृद्ध थावच्चा गाथापत्नी का पुत्र, जिसने एक सहस्र मनुष्यों के साथ भगवान् नेमिनाथ से दीक्षा ग्रहण की। दीक्षा महोत्सव श्रीकृष्ण ने किया। थावच्चापुत्र ने १४ पूर्वो का अध्ययन किया। अनेक प्रकार का तप किया। अन्त में सर्व प्रकार के दुःखों का अन्त करके सिद्ध, बुद्ध और मुक्त हो गया। —ज्ञातासूत्र, अध्ययन ५ कृष्ण कृष्ण वासुदेव। माता का नाम देवकी, पिता का नाम वसुदेव था। कृष्ण का जन्म अपने मामा कंस की कारा में मथुरा में हुआ। जरासन्ध के उपद्रवों के कारण श्रीकृष्ण ने ब्रज-भूमि को छोड़कर सुदूर सौराष्ट्र में जाकर द्वारका नगरी बसाई। श्रीकृष्ण भगवान् नेमिनाथ के परम भक्त थे। भविष्य में वह 'अमम' नाम के तीर्थंकर होंगे। जैन साहित्य में संस्कृत और प्राकृत उभय भाषाओं में श्रीकृष्ण का जीवन विस्तृत रूप में मिलता है। द्वारका का विनाश हो जाने पर श्रीकृष्ण की मृत्यु जराकुमार के हाथों से हुई। —जैनागमकथाकोष महावीर वर्तमान अवसर्पिणी कालचक्र के २४ तीर्थंकरों में चरम तीर्थंकर। आगम-साहित्य और आगमोत्तर ग्रन्थों में भगवान् महावीर के इतने नाम प्रसिद्ध हैं - १. वर्धमान, २. महावीर, ३. महाश्रमण, ४. चरम तीर्थकृत्, ५. सन्मति, ६. महतिवीर, ७. विदेहदिन्न, ८. वैशालिक, ९. ज्ञातपुत्र, १०. देवार्य, ११. दीर्घतपस्वी आदि। भगवान् महावीर के माता-पिता पार्श्वनाथीय परम्परा के श्रमणोपासक थे। भगवान् महावीर का जन्म वैशाली में, जो पटना से २७ मील उत्तर में बसार' या 'बसाड़' नाम से प्रसिद्ध है, हुआ था। ___ महावीर के पिता राजा सिद्धार्थ, माता त्रिशलादेवी, ज्येष्ठ भ्राता नन्दिवर्धन थे। महावीर की माता त्रिशलादेवी वैशाली-गणतन्त्र के प्रमुख राजा चेटक की बहिन थी। माता-पिता के दिवंगत हो जाने के बाद नन्दिवर्धन से अनुमति लेकर तीस वर्ष की अवस्था में महावीर ने दीक्षा ग्रहण की।Page Navigation
1 ... 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134