Book Title: Agam 09 Ang 09 Anuttaropapatik Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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भद्रा सार्थवाही
सावत्थी नगरी
वाणारसी नगरी
आलभिया नगरी
पोलासपुर
काकन्दी नगरी के वासी धन्यकुमार और सुनक्षत्रकुमार की माता ।
काकन्दी नगरी में भद्रा सार्थवाही का बहुमान था । भद्रा के पति का उल्लेख नहीं मिलता।
भद्रा के साथ लगा सार्थवाही विशेषण यह सिद्ध करता है कि वह साधारण व्यापार ही नहीं अपितु
. सार्वजनिक कार्यों में भी महत्त्वपूर्ण भाग लेती होगी और देश तथा परदेश में बड़े पैमाने पर व्यापार करती रही होगी। पंचधात्री
शिशु का लालन-पालन करने वाली पांच प्रकार की धाय माताएं ।
शिशु-पालन भी मानवजीवन की एक कला है। एक महान् दायित्व भी है। किसी शिशु को जन्म देने मात्र से माता-पिता का गौरव नहीं होता। माता-पिता का वास्तविक गौरव शिशु के लालन-पालन की पद्धति से ही आंका. जा सकता है।
१. धीरधात्री - दूध पिलाने वाली ।
२. मज्जनधात्री
- स्नान कराने वाली।
३. मण्डनधात्री
४. क्रीडाधात्री
५.
अंकधात्री
प्राचीन साहित्य के अध्ययन से ज्ञात होता है कि प्राचीन काल में राजघरानों में और सम्पन्न घरों में शिशुपालन के लिए धाय माताएं रखी जाती थीं, जिन्हें धात्री कहा जाता था । धाय माताएं पाँच प्रकार की हुआ करती थीं
१. गज २. वृषभ
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- साज-सिंगार कराने वाली ।
अनुत्तरौपपातिकदशा
जितशत्रु
जितशत्रु
जितशत्रु
जितशत्रु
- खेल - कूद कराने वाली, मनोरंजन कराने वाली ।
• गोद में रखने वाली ।
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महाबल
बल राजा का पुत्र । सुदर्शन सेठ का जीव महाबलकुमार । हस्तिनापुर नामक नगर का राजा बल और रानी प्रभावती थी। एक बार रात में अर्धनिद्रा में रानी ने देखा 'एक सिंह आकाश से उतर कर मुख में प्रवेश कर रहा है।' सिंह का स्वप्न देखकर रानी जाग उठी और राजा बल के शयनकक्ष में जाकर स्वप्न सुनाया। राजा ने मधुर स्वर में
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पुत्र
कहा 'स्वप्न बहुत अच्छा है। तेजस्वी स्वप्न का फल पूछा । स्वप्न- पाठकों ने कहा प्रकार कुल ७२ स्वप्न कहे हैं। "
की तुम माता बनोगी।" प्रातः राजसभा में राजा ने स्वप्न - पाठकों से 'राजन् ! स्वप्नशास्त्र में ४२ सामान्य और ३० महास्वप्न हैं, इस
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तीर्थंकरमाता और चक्रवर्तीमाता ३० महास्वप्नों में से इन १४ स्वप्नों को देखती हैं
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