Book Title: Agam 09 Ang 09 Anuttaropapatik Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 119
________________ ८४ तव - - तेरा तव तेय - सिरीए तव - रूव-लावन्ने तवसा - - तप से तवेणं • तप से — तवो-कम्मं तवो-कम्मेणं - तस्स - - उसका तहा - उसी तरह तहा-रूवाणं. - - गुणों से युक्त साधुओं का • तप और तेज की लक्ष्मी से - - तपःक्रिया तहेव - उसी प्रकार - तप-कर्म से - ताए – उस ताओ उस तामेव उसी तारएणं- - दूसरों को तारने वाले तालियंट-पत्ते ति – ति कट्टु - इस प्रकार करके तिण्णि - तिक्खुत्तो – तीन बार - तीन तिन्हं - तीन का तित्थगरेणं तेणद्वेणं. तेणेव - तेत्तीसं तेरस - . तेरह - - तप के कारण उत्पन्न हुई सुन्दरता -तथा-रूप, शास्त्रों में वर्णन किये हुए - ताड़ - इति समाप्ति या परिचयबोधक अव्यय - - तेएणं – तेज से - तेणं उस द्वारा तिनेणं -संसार सागर से पार हुए तीसे उसे • आप से तुब्भेणं तुम - चार तीर्थों की स्थापना करने वाले के उसी ओर - तेतीस के पत्ते का पंखा इस कारण तेरसहवि - तेरहों को - - तेरसमे – तेरहवाँ तेरसवि - तेरह की - तेसिं- उनके तो - तो त्ति - इति - थावच्चापुत्तस्स – थावच्चापुत्र की, थावच्चा नामक गाथापत्नी का पुत्र, जिसने एक सहस्र मनुष्यों के साथ दीक्षा ली थावच्चापुत्तो. थासयावली – दर्पणों (आरसियों) की पंक्ति - थावच्चापुत्र थेरा - स्थविर भगवान् थेराणं. थेरेहिं - दस - दसमे दसमो दाओ - स्थविर भगवन्तों का - स्थविरों के (से) · दश - दशवाँ, दशम - - - - दशम, दशवाँ - दहेज - दारए बालक दारयं दिन्ना - दी हुई दिवसं - दिन दिसं-दिशा को दीहदंते – दीर्घदन्तकुमार - - दीहसेणे – दीर्घसेनकुमार दुमसेणे दुमे - द्रुमकुमार - द्रुमसेन - बालक को - दुरूहंति – आरोहण करते हैं, चढ़ते हैं - आरोहण करता है, चढ़ता है दुरूहति - दूरं – दूर देवस्स - देव की अनुत्तरीपपातिकदशा - देव-रूप से देवत्ताए - देव- लोगाओ – देवलोक से देवाप्पियाणं – देवों के प्रिय (आप) का देवाप्पिया – देवों के प्रिय (तुम) - देवी – राज- महिषी, पटरानी देवे – देव -

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