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वासाई, (तिं)
वासे - क्षेत्र में
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विउलं - विपुलगिरि पर्वत विगत- तडि -करालेणंप्रान्त भागों से
विजए (ये) विजय विमान में विजय- विमाणे
वियण - पत्ते
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. वर्ष तक
विपुलं - विपुलगिरि नामक पर्वत विमाणे - विमान में
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बाँस आदि का पंखा
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विहरति - विचरण करता है विहरामि - विचरण करता हूँ विहरित्तते - विहार करने के लिए
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वातिवतित्ता व्यतिक्रान्त कर, अतिक्रमण कर,
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-नदी के तट के समान भयंकर
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- विजय नामक विमान में
लांघकर
- कहा जाता है
वुच्चति वृत्तपडिवुत्तया - वुत्ते - कहा गया है
वेजयंते - वैजयंत विमान में
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- उक्ति - प्रत्युक्ति
वेहल्लस्स – वेहल्लकुमार का
वेहल्ले – वेहल्लकुमार
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वेहायसे – वेहायसकुमार
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संचाएति – समर्थ होता है
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संजमे
संजमेणं
संपत्तेणं - मोक्ष को प्राप्त हुए
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संलेहणा - संलेखना, शारीरिक व मानसिक तप द्वारा
- संयम में, साधुवृत्ति में
- संयम से
कषायादि का नाश करना, अनशन व्रत
संसद्वं - भोजन से लिप्त (हाथों) आदि से दिया हुआ सच्चेव - वही
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सत्त - सात
सत्थवाहिं - सार्थवाही को
सत्थवाही – सार्थवाही, व्यापार में निपुण स्त्री
सद्धिं - साथ
समएणं समणं
- समय से (में)
श्रमण को
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समण-माहण- अतिहि-किवण - वणीमगा - श्रमण,
माहन (श्रावक), अतिथि, कृपण और वनीपक ( याचक विशेष)
वेवमाणीए – काँपती हुई
- शल्य वृक्ष की कोंपल
वेहल्ल-वेहायसा – वेहल्लकुमार और वेहायसकुमार सव्वट्ठसिद्धे – सर्वार्थसिद्ध विमान में
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समणस्स श्रमण भगवान् का
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समणे - श्रमण भगवान् समणेणं. समाणी - होने पर समाणे - होने पर
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समि- संगलिया
समोसढे समोसरणं सयं • अपने आप
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श्रमण भगवान् ने
• शमी वृक्ष की फली
- पधारे, विराजमान हुए
पधारना, तीर्थंकर का पधारना
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अनुत्तरौपपातिकदशा
सयं-संबुद्धेणं- अपने आप बोध प्राप्त करने वाले
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- समान
सरण-दएणं - सरिसं सरीर - वन्नओ सल्लति-करिल्ले
- शरण देने वाले
- शरीर का वर्णन
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सवत्थ - - सर्वत्र, सब के विषय में सव्वो सब
सव्वोदुए – सब ऋतुओं में हरा-भरा रहने वाला सहसंबवणे -सहस्राम्रवन नाम वाला एक बगीचा सहस्संबवणातो — सहस्राम्रवन उद्यान से
सा- वह
साए - साकेतपुर में साग- पत्ते - शाक का पत्ता
सागरोवमाई. - सागरोपम, काल का एक विभाग साम - करिल्ले – प्रियंगु वृक्ष की कोंपल सामन्न- परियागं - साधु का पर्याय, साधु का भाव,
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संयम-वृत्ति सामन्न- परियातो – संयम - वृत्ति सामली- करिल्ले
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- सेमल वृक्ष की कोंपल