Book Title: Agam 09 Ang 09 Anuttaropapatik Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 123
________________ ८८ वासाई, (तिं) वासे - क्षेत्र में - विउलं - विपुलगिरि पर्वत विगत- तडि -करालेणंप्रान्त भागों से विजए (ये) विजय विमान में विजय- विमाणे वियण - पत्ते — . वर्ष तक विपुलं - विपुलगिरि नामक पर्वत विमाणे - विमान में - बाँस आदि का पंखा - विहरति - विचरण करता है विहरामि - विचरण करता हूँ विहरित्तते - विहार करने के लिए - - वातिवतित्ता व्यतिक्रान्त कर, अतिक्रमण कर, - -नदी के तट के समान भयंकर - - विजय नामक विमान में लांघकर - कहा जाता है वुच्चति वृत्तपडिवुत्तया - वुत्ते - कहा गया है वेजयंते - वैजयंत विमान में - - - - उक्ति - प्रत्युक्ति वेहल्लस्स – वेहल्लकुमार का वेहल्ले – वेहल्लकुमार - वेहायसे – वेहायसकुमार - संचाएति – समर्थ होता है - संजमे संजमेणं संपत्तेणं - मोक्ष को प्राप्त हुए - संलेहणा - संलेखना, शारीरिक व मानसिक तप द्वारा - संयम में, साधुवृत्ति में - संयम से कषायादि का नाश करना, अनशन व्रत संसद्वं - भोजन से लिप्त (हाथों) आदि से दिया हुआ सच्चेव - वही - सत्त - सात सत्थवाहिं - सार्थवाही को सत्थवाही – सार्थवाही, व्यापार में निपुण स्त्री सद्धिं - साथ समएणं समणं - समय से (में) श्रमण को ――――― समण-माहण- अतिहि-किवण - वणीमगा - श्रमण, माहन (श्रावक), अतिथि, कृपण और वनीपक ( याचक विशेष) वेवमाणीए – काँपती हुई - शल्य वृक्ष की कोंपल वेहल्ल-वेहायसा – वेहल्लकुमार और वेहायसकुमार सव्वट्ठसिद्धे – सर्वार्थसिद्ध विमान में - समणस्स श्रमण भगवान् का - समणे - श्रमण भगवान् समणेणं. समाणी - होने पर समाणे - होने पर — समि- संगलिया समोसढे समोसरणं सयं • अपने आप - ―― श्रमण भगवान् ने • शमी वृक्ष की फली - पधारे, विराजमान हुए पधारना, तीर्थंकर का पधारना - अनुत्तरौपपातिकदशा सयं-संबुद्धेणं- अपने आप बोध प्राप्त करने वाले - - समान सरण-दएणं - सरिसं सरीर - वन्नओ सल्लति-करिल्ले - शरण देने वाले - शरीर का वर्णन — सवत्थ - - सर्वत्र, सब के विषय में सव्वो सब सव्वोदुए – सब ऋतुओं में हरा-भरा रहने वाला सहसंबवणे -सहस्राम्रवन नाम वाला एक बगीचा सहस्संबवणातो — सहस्राम्रवन उद्यान से सा- वह साए - साकेतपुर में साग- पत्ते - शाक का पत्ता सागरोवमाई. - सागरोपम, काल का एक विभाग साम - करिल्ले – प्रियंगु वृक्ष की कोंपल सामन्न- परियागं - साधु का पर्याय, साधु का भाव, - - संयम-वृत्ति सामन्न- परियातो – संयम - वृत्ति सामली- करिल्ले - - - सेमल वृक्ष की कोंपल

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