Book Title: Agam 09 Ang 09 Anuttaropapatik Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 117
________________ ८२ अनुत्तरौपपातिकदशा कायंदीओ - काकन्दी नगरी से कारेति -करवाता है कारल्लय-छल्लिया- करेले का छिलका १. कालं-काल, समय २. कालं - मृत्यु (से) काल-गते-मृत्यु को प्राप्त कालगयं - मृत्यु को प्राप्त हुए को काल-मासे – मृत्यु के समय कालि-पोरा – कालि - वनस्पति विशेष का पर्व (सन्धि-स्थान) कालेणं- काल से, समय से (में) काहिति–करेगा किच्चा – करके कुंडिया-गीवा - कमण्डलु का गला कुमारे - कुमार के-कौनसा केणटेण – किस कारण केवतियं-कितने कोणितो-कोणिक राजा खंदओ (तो)- स्कन्दक संन्यासी खंदग-वत्तव्वया-स्कन्दक सम्बन्धी कथन खंदयस्स-स्कन्दक संन्यासी का खलु -निश्चय से खीर-धाती - दूध पिलाने वाली धाय गंगा-तरंग-भूएणं-गंगा की तरंगों के समान हुए गच्छति - जाता है गच्छिहिति–जाएगा गणिज-माला – गिनती करने की माला गणेज्ज-माणेहिं - गिने जाते हुए गते- गया गामानुगामं - एक गाँव से दूसरे गाँव गिलाति - खेद मानता है, दुःखित होता है गीवाए - ग्रीवा की, गर्दन की गुणरयण - गुणरत्न नामक तप गुणसिलए (ते) – गुण-शिल नामक उद्यान गूढदंते - गूढदन्तकुमार गेण्हंति - ग्रहण करते हैं गेण्हावेति-ग्रहण कराता (ती) है गेवेज्जविमाणपत्थडे-ग्रैवेयक देवों के निवास-स्थान के प्रान्त भाग से गोतमपुच्छा - गौतम का पूछना गौतमसामी - गौतम स्वामी, श्री महावीर स्वामी के मुख्य शिष्य गोत(य)मा-हे गौतम ! गोतमे - गौतम स्वामी गोयमे - गौतम स्वामी गोलावली- एक प्रकार के गोल पत्थरों की पंक्ति चउदसण्हं -चौदह का चंदिम–चन्द्रविमान चंदिमा-चन्द्रिकाकुमार चक्खुदएणं- ज्ञानचक्षु प्रदान करने वाले चम्मच्छिरत्ताए-चमड़ा और शिराओं के कारण चरेमाणे - चलते हुए, विहार करते हुए चलंतेहि -- चलते हुए, हिलते हुए चिंतणा-धर्मचिन्ता चिंता–चिन्ता चिट्ठति – स्थित है, रहता है, रहती है चित्त-कटरे - गौ के चरने के कुण्ड के नीचे का हिस्सा चेतिए (ते)- चैत्य, उद्यान, बगीचा चेल्लणाए-चेल्लणा रानी के चेव - ही, ठीक ही चोदसण्हं -चौदह का छटुंछडे - षष्ठ षष्ठ तप से, बेले-बेले छट्ठस्सवि - छठे (भक्त) पर भी छत्तचामरातो- छत्र और चामरों से छमासा- छः महीने छिन्ना-तोड़ी हुई जं- जिस जंघाणं-जंघाओं का जंबुं- जम्बूस्वामी को

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