Book Title: Agam 09 Ang 09 Anuttaropapatik Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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परिशिष्ट-टिप्पण
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३. सिंह ४. लक्ष्मी ५. पुष्पमाला ६. चन्द्र ७. सूर्य ८. ध्वजा ९. कुम्भ १०. पद्मसरोवर ११. समुद्र १२. विमान १३. रत्नराशि १४. निर्धूम अग्नि
राजन् ! प्रभावती देवी ने एक महास्वप्न देखा है। अतः इसका फल अर्थलाभ, भोगलाभ, पुत्रलाभ और राज्यलाभ होगा। .. कालान्तर में पुत्र का जन्म हुआ, जिसका नाम महाबलकुमार रखा गया।
कलाचार्य के पास ७२ कलाओं का अभ्यास करके महाबल कुशल हो गया।
आठ राजकन्याओं के साथ महाबलकुमार का विवाह किया गया। महाबलकुमार भौतिक सुखों में लीन हो गया।
भगवान् का उपदेश श्रवण कर दीक्षित हो मुनिधर्म अंगीकार किया। तत्पश्चात् महाबल मुनि ने १४ पूर्वो का अध्ययन किया। अनेक प्रकार का तप किया। १२ वर्ष श्रमणपर्याय पालकर, ब्रह्मलोक कल्प में देव रूप में जन्म हुआ।
-भगवती, शतक ११, उद्देश ११ कोणिक
राजा श्रेणिक की रानी चेल्लणा का पुत्र, अंगदेश की राजधानी चम्पानगरी का अधिपति, भगवान् महावीर का परम भक्त।
कोणिक राजा एक प्रसिद्ध राजा है। जैनागमों में अनेक स्थानों पर उसका अनेक प्रकार से वर्णन मिलता है। भगवती, औपपातिक और निरयावलिका में कोणिक का विस्तृत वर्णन है।
राज्यलोभ के कारण इसने अपने पिता श्रेणिक को कैद में डाल दिया था। श्रेणिक की मृत्यु के बाद कोणिक ने अंगदेश में चम्पानगरी को अपनी राजधानी बनाया था।
अपने सहोदर भाई हल्ल और विहल्ल से हार और सेचनक हाथी को छीनने के लिए अपने नाना चेटक से भयंकर युद्ध भी किया था। कोणिक-चेटकयुद्ध प्रसिद्ध है।
—जैनागमकथाकोष