Book Title: Agam 09 Ang 09 Anuttaropapatik Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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परिशिष्ट - टिप्पण
श्रेणिक राजा
मगध देश का सम्राट् था । अनाथी मुनि से प्रतिबोधित होकर भगवान् महावीर का परम भक्त हो गया था । ऐसी एक जन - श्रुति है ।
राजा श्रेणिक का वर्णन जैन ग्रन्थों तथा बौद्ध ग्रन्थों में प्रचुर मात्रा में मिलता है ।
इतिहासकार कहते हैं कि श्रेणिक राजा हैहय कुल और शिशुनाग वंश का था ।
बौद्ध ग्रन्थों में 'सेनिय' और 'बिंविसार' ये दो नाम मिलते हैं। जैन ग्रन्थों में सेणिय, भिंभसार और भंभासार नाम उपलब्ध हैं।
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भंसार और भंभासार नाम कैसे पड़ा ? इस सम्बन्ध में श्रेणिक के जीवन का एक सुन्दर प्रसंग है— श्रेणिक के पिता राजा प्रसेनजित कुशाग्रपुर में राज्य करते थे । एक दिन की बात है, राजप्रासाद में सहसा आग लग गई। हर एक राजकुमार अपनी-अपनी प्रिय वस्तु लेकर बाहर भागा। कोई गज लेकर, तो कोई अश्व लेकर, कोई रत्नमणि लेकर । परन्तु श्रेणिक मात्र एक 'भंभा' लेकर ही बाहर निकला था ।
श्रेणिक को देखकर दूसरे भाई हँस रहे थे, पर पिता प्रसेनजित प्रसन्न था, क्योंकि श्रेणिक ने अन्य सब कुछ छोड़कर एकमात्र राज्यचिह्न की रक्षा की थी ।
इस पर राजा प्रसेनजित ने उसका नाम 'भिंभसार', या 'भंभासार' रखा। भिंभसार शब्द ही संभवतः आगे चलकर उच्चारण-भेद से बिंबसार बन गया।
धारिणी देवी
श्रेणिक राजा की पटरानी थी । धारिणी का उल्लेख आगमों में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
संस्कृत साहित्य के नाटकों में प्रायः राजा की सबसे बड़ी रानी के नाम के आगे 'देवी'- विशेषण लगाया जाता है, जिसका अर्थ होता है— रानियों में सबसे बड़ी अभिषिक्त रानी, अर्थात् पटरानी ।
राजा श्रेणिक की अनेक रानियाँ थी, उनमें धारिणी मुख्य थी । इसीलिए धारिणी के आगे 'देवी' विशेषण लगाया जाता है। देवी का अर्थ है— पूज्या ।
मेघकुमार इसी धारिणी देवी का पुत्र था, जिसने भगवान् महावीर के पास दीक्षा ग्रहण की थी। सिंह - स्वप्न
किसी महापुरुष के गर्भ में आने पर उसकी माता कोई श्रेष्ठ स्वप्न देखती है। इस प्रकार का वर्णन भारतीय साहित्य में भरा पड़ा है। जैन साहित्य में और बौद्ध साहित्य में इस प्रकार के वर्णन प्रचुर मात्रा में हैं ।
बुद्ध की माता मायादेवी ने बुद्ध के गर्भ में आने पर रजत - राशि जैसा षड्दन्त गज देखा था ।
तीर्थंकर एवं चक्रवर्ती की माता १४ महास्वप्न देखती है। वासुदेव की माता १४ में से कोई भी सात स्वप्न देखती है। बलदेव की माता कोई चार स्वप्न देखती है। इसी प्रकार माण्डलिक राजा की माता एक महास्वप्न देखती
है ।
सिंह का स्वप्न वीरतासूचक और मंगलमय माना है।
मेघकुमार
मगध सम्राट् श्रेणिक और धारिणी देवी का पुत्र था, जिसने भगवान् महावीर के पास दीक्षा ग्रहण की थी ।