________________
१२
९६ ] आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी : व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व
विषय कुल रचनाएँ अन्यों की द्विवेदीजी की कविता जीवन चरित (स्त्री) ८ जीवनचरित (पुरुष) ११ फुटकर विज्ञान
१४ माहित्य व्यंग्य-चित्र स्पष्ट है कि विविध विषयों के लेखन में द्विवेदी जी को उस समय अन्य लेखकों का भरपुर सहयोग नहीं मिला था। अतएव, द्विवेदीजी ने कभी अपने नाम से और कभी कल्पित भडकीले दानों से विविध विषयों की सामग्री प्रकाशित कर 'सरस्वती' का भाण्डार भरा । डॉ. उदयभानु सिंह ने उनकी कल्पित नामावली इस प्रकार प्रस्तुन की है :
"द्विवेदीजी ने कभी कितनामिजोर त्रिपाठी' बनकर 'नमाचार का विराट रूप'१ दिखलाया, तो कभी 'कहलू अद्ध इत' बनकर 'मरगो नरक ठेकाना नाहि'२ का आल्हा गाया। कभी 'गजानन गणेश गर्वखण्डे' के नाम से 'जम्बुक्कीन्याय' 3 की रचना की
और कभी 'पर्यालोचक' के नाम से ज्योतिष-वेदांग की आलोचना की।४ कहीं 'कवियों की उर्मिला-विषयक उदासीनता'५ दूर करने, 'भारत का नौकानयन'६ दिखलाने, 'बालोद्वीप में हिन्दुओं का राज्य'७ सिद्ध करने अथवा 'मेघदूत-रहस्य'८ खोजने के लिए 'भुजंगभूषण भट्टाचार्य' बने, तो कहीं 'अमेरिका के अखबार', 'रामकहानी की समालोचना'१०, 'अलबरूनी'११ और भारत का चलन
१. सरस्वती, सन् १९०४ ई०, पृ० ३६७ ॥ २. सरस्वती, सन् १९०६ ई०, पृ० ३८ । ३. सरस्वती, सन् १९०६ ई०, पृ० २१७ । ४. सरस्वती, सन् १९०७ ई०, पृ० २०-२८६ । '५. सरस्वती, सन् १९०८ ई०, पृ० ३१३ । ६. सरस्वती, सन् १९०९ ई०, पृ० ३०४ । ७. सरस्वती, सन् १९११ ई०, पृ० २१९ । ८. सरस्वती, उपरिवत्, पृ० ३६५ । ९. सरस्वती, सन् १९१७ ई०, पृ० १२४ । १०. सरस्वती, उपरिवत्, पृ० ४५० । ११. सरस्वती, सन् १९११, ई० २४२ ॥