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१५८ ] आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी : व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व
३२. सम्पादकीय योग्यता : जून, १९०७ ई० । ३३. कवि और कविता : जुलाई, १९०७ ई० । ३४. पुस्तक प्रकाशन : जनवरी, १९०८ ई० । ३५. साहिबी हिन्दी (१) : जनवरी, १९०८ ई० । ३६. साहिबी हिन्दी (२) : फरवरी, १९०८ ई० । ३७. ओंकार-महिमा-प्रकाश : जुलाई, १९०८ ई० । ३८. अँगरेजों का साहित्य-प्रेम : सितम्बर, १९०८ ई० । ३९. वैदिक कोश : मार्च, १९०६ ई० । ४०. महाराष्ट्र-साहित्य-सम्मेलन : दिसम्बर, १९०९ ई० ।
आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदीजी के सम्पादन-काल एवं उसके पूर्व की 'सरस्वती' के प्रारम्भिक दस वर्षों में प्रकाशित द्विवेदीजी का यह आलोचनात्मक साहित्य इस तथ्य का प्रमाण है कि द्विवेदीजी ने विपुल सख्या में आलोचनात्मक साहित्य लिखा । इस सूची में उनकी मैकड़ों लघु टिप्पणियों तथा 'सरस्वती' में प्रतिमास 'पुस्तक-परिचय' स्तम्भ में छपनेवाली समीक्षाओ का उल्लेख नहीं है । पुस्तकाकार प्रकाशित द्विवेदीजी का आलोचनात्मक साहित्य कुल मिलाकर इतना ही है :
१. नैषधचरितचर्चा । सन् १८९६ ई०)। २. हिन्दी-शिक्षावली, तृतीय भाग की समालोचना (सन् १८९९ ई०)। ३. हिन्दी-कालिदास की समालोचना (सन् १९०९ ई०)। ४. विक्रमाकदेवचरितचर्चा (सन् १९०७ ई०)। ५. हिन्दी-भाषा की उत्पत्ति सन् १९०७ ई०) । ६. कालिदास की निरंकुशता (सन् १९११ ई०)। ७. नाट्यशास्त्र सन् १९११ ई०) । ८. कालिदास (सन् १९२० ई०)। ९. कालिदास और उनकी कविता (सन् १९२० ई०) । १०. रसज्ञरंजन (सन् १९२० ई०)। ११. आलोचनांजलि (सन् १९२८ ई०)। १२. साहित्य-सन्दर्भ (सन् १९२८ ई०) । १३. साहित्यालाप (सन् १९२६ ई०) । १४. वाग्विलास सन् १९३० ई०) । १५. समालोचना-समुच्चय (सन् १९३० ई०) । १६. साहित्य-सीकर सन् १९३० ई०)।
इन पुस्तकों के अतिरिक्त विचार-विमर्श', 'संकलन' इत्यादि कई संकलनों में भी द्विवेदी जी की भाषा एवं साहित्य-पम्बन्धी आलोचनात्मक रवनाएँ संगृहीन हैं।