Book Title: Acharya Mahavir Prasad Dwivedi Vyaktitva Krutitva
Author(s): Shaivya Jha
Publisher: Anupam Prakashan

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Page 233
________________ कविता एवं इतर साहित्य [ २१९ राजनीतिक, सांस्कृतिक परिवेश में व्याप्त अव्यवस्था एवं कुरीतियों से भी वे अनभिज्ञ नहीं थे । द्विवेदीजी की बहुत सारी कविताओं में हमें सामाजिक समस्याओ का अंकन मिलता है । डॉ० गंगाप्रसाद विमल ने ठीक ही लिखा है : "कवि - आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी की कविताओं में हमें सामयिक कविताएँ व्यंग्य कविताएँ एवं सोद्देश्य कविताएँ मिल जाती है। इन तीनों आधारों पर हम एक सर्वमान्य लक्ष्य का आभास पाते हैं । उनकी सोद्देश्य कविताओं में भी एक आदर्श की झलक है, इसी तरह सामयिक समस्याओं के समाधान के लिए भी उनके पास अस्पष्ट-सा समाधान है, व्यंग्य - कविताएँ वे आदर्शच्युत जीवन- योगियों को चेतवनी देते हुए रचते है, अन्ततः वहाँ भी एक आदर्श की परिपूर्ति होती है ...... इसी आधार पर हम आचार्य द्विवेदी के आदर्श व्यक्तित्व की काव्यसृष्टि की एक समग्र दृष्टि आदर्शवाद ( साहित्यिक आदर्शवाद ) को उनकी कविता की केन्द्रीय चेतना - बिन्दु मान सकते है । .... द्विवेदीजी की काव्यसृष्टि को हम केवल कविता तक ही सीमित नही रख सकते, अपितु हमें समसामयिक जीवनबोध को सामने रखना होगा ।"१ युगीन परिवेश की विविध समस्याओं पर रचित उनकी कविताओं में नैतिकतापूर्ण आदर्शवाद ही परिलक्षित होता हैं । बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ के साथ राष्ट्रीय भावना ने महात्मा गान्धी के नेतृत्व में जैसा स्वरूप धारण किया था, उसका प्रभाव भी द्विवेदीयुगीन काव्य पर पड़ा। यद्यपि, एक युगान्तर उपस्थित हो गया था और भारतेन्दु युग से चली आ रही देशभक्ति की भावना ने अब स्वतन्त्रता प्राप्ति का लक्ष्य ग्रहण कर लिया था, तथापि राजभक्ति की धारा भी क्षीण एवं मन्दगति से बह रही थी । द्विवेदीजी भी अपनी 'बालविनोद' शीर्षक कविता में आलस्य, फूट, मदमोह आदि दूर करने की प्रार्थना ईश्वर से करने के साथ ही सम्राट् एडवर्ड के चिरायु होने की कामना करते हैं : है एक और विनती तुमसे हमारी, सो भी करो सफल है प्रभु पापहारी । ये सातवें नृप नए एडवर्ड देव, रानी समेत चिरजीवी रहें सदैव ॥ परन्तु, परवर्ती कई कविताओं में उन्होंने भारतमाता और स्वतन्त्रता की चर्चा की है। 'वन्दे मातरम्' की छाया लेकर द्विवेदीजी ने हिन्दी में गीत लिखे । इस गीत १. डॉ० गंगाप्रसाद विमल : 'द्विवेदीजी की काव्यसृष्टि' 'भाषा' : द्विवेदी -स्मृतिअंक, पृ० ९२ । २. 'सरस्वती', फरवरी, १९०२ ई० . ० ५०

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