Book Title: Acharya Mahavir Prasad Dwivedi Vyaktitva Krutitva
Author(s): Shaivya Jha
Publisher: Anupam Prakashan

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Page 256
________________ २४२ ] आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी : व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व सकता है कि द्विवेदीजी ने २५ वर्ष के भीतर लगभग २५ हजार पृष्ठ लिखे हैं । एक वर्ष में एक हजार पृष्ठ की रफ्तार से लिखने का परिश्रम करके हीं वे अपने युग की समस्त साहित्यिक गतिविधियो के अगुआ बन सके । निष्कर्षतः, हम डॉ० लक्ष्मीनारायण सुधांशु की निम्नोद्धत पंक्तियों से सहमति प्रकट करते हुए कह सकते है : “सन् १९०० मे १९२० ई० तक का हिन्दी साहित्य सभी दिशाओं में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से द्विवेदीजी की प्रतिभा का ऋणी है। नये युग की अवतारणा के नायक, बहुमुखी विकास के मन्त्रदाता और हिन्दी की निश्चित प्रगति के पुरोहित वही थे । हिन्दी का बहुविध साज-सज्जा से सुसज्जित जो मनोरम महल आज खड़ा है, उसकी दृढ़ भित्ति उन्हीं की देन है । १ १. डॉ० लक्ष्मीनारायण सुधांशु : 'हिन्दी-साहित्य का बृहत् इतिहास', भाग १३, प० २१ ।

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