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आप्त-मीमांसा |
चौपाई |
एक अनेक पक्ष एकन्त । तजैं होय निजभाव जु संत ॥ यातैं स्वामि वचनतैं साधि । स्यादवाद धारो तजि आधि ॥१॥
इति श्री स्वामी समन्तभद्र विरचित देवागमस्तोत्रकी देशभाषामय वचनिकाविषै स्याद्वादस्थापनरूप द्वितीय अधिकार समाप्त भया ।
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