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आप्त-मीमांसा।
चौपाई अंतरंग बहिरंग विचार, पक्ष होय एकान्त निवार । तत्व जनायौ श्री मुनिराय, अनेकांत है सत्य उपाय ॥१॥ इति श्री आप्त मीमांसा नाम देवागम स्तोत्र की संक्षेप अर्थ रूप देश भाषा मय बचनिका
विर्षे सातवा परिच्छेद समाप्त भया । इहां ताई कारिका सत्यासी भई ॥८७॥ आगें आठमा परिच्छेदका प्रारम्भ है