Book Title: Aagam Sambandhi Saahitya 01 Aagamiy Sooktaavalyaadi
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Param Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
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[भाग-1] श्री आगमीय-सूक्तावलि-आदि
आगमीय सूक्तावलि पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: आगमीय-सूक्तावलि-आदि (आगम-संबंधी-साहित्य)
18 वे बोल - भा धर्नु नाम भीआगमीयस्तावश्यादि . तेनी अंदर परमतारक आगमोद्धारक आचार्यदेव श्रीआनन्दसागरसूरीश्वरजी महाराजभीए आगमोमाथी तारखेला तेप्पन (५३) विषयोमांधी (१) आगमीयसुक्तावलि (पत्र. ४९ सुधी.), (२) आगमीयसुभाषित (पत्र. ४१ थी ५० सुधी), (३) आगमीयसंग्रहलोको (पत्र, ५० थी ५१ सुधी) अने () भागमीयलोकोक्ति (पत्र. ५२ थी अंत्य पत्र सुधी)-एम चार विषयो आपवामां आव्या हे. मा सर्व वस्तुने समजवाने माटे जे पत्र अंक अने पंक्ति अंक आपवामा आवेल छे ते आगमोदय समिति अने देवचंद लालभाइना छपायेला आगमोना . छेद ग्रंथोना ज विभाग अंक, पत्र अंक अने पंक्ति अंक जे आपेला ते तेओधीना भंडार श्रीजेनानंद पुस्तकालयनी हाथपोथी उपरथी आपयामा आबेला छे. आ ग्रंथ पत्र ५१ सुधी जैन विजयानंद प्रिन्टिंग प्रेसमा अने वाकीना पत्रो सरस्वती प्रिन्टिंग प्रेसमा छपायेला छे. आ ग्रंथनु आटलुं मूल्य वर्तमानकालने आभारी छे. आ ग्रंथना प्रूफोर्नु कार्य मुनि श्रीकंचनविजयजी तथा मुनि श्रीक्षेमंकरसागरजीए कयु २. उपरांत, ते कार्यमा ज्यारे ज्यारे शंका पडी त्यारे त्यारे आगमोद्धारक आचार्यदेवधीना पट्टधर, दीर्घदीक्षित, विद्याव्यासंगी अने निरभिमानी भाचार्य महाराजश्री माणेक्यसागरसूरीश्वरजी महाराजने पूछीने तेनुं निवारण करवामां आव्यु छे. वळी तेओश्रीए प्रूफ उपर पण इष्टिपात कों छे. तेधी तेओश्रीओना अमे ऋणी डीए, आ. ग्रंथy प्रकाशन श्रीजैन पुस्तक प्रचारक संस्था तरफथी श्रीआगमोद्धारसंग्रह भाग ८ तरीके यहार पाडवामां आव्यु छे. सजन पुरुषो आ मुक्तावलि आदिनो उपयोग करशे अने आ प्रयत्नने सफळ करशे. वि. सं. २००५ ।
लि. प्रकाशक. अक्षयतृतीया.
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